Lakhimpur Kheri Violence: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में रविवार को घटित हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वत: संज्ञान लिया हैं. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ आज यानी गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी. हालांकि इससे पहले इस मामले को लेकर दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वकीलों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक दायर याचिका में मांग की गई थी कि लखीमपुर खीरी में हुई घटना के संबंध में कोर्ट की निगरानी में मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाए, जिसमें सीबीआई (CBI) को भी शामिल किया जाए.
कोर्ट में इस याचिका को अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी (Shiv Kumar Tripathi) और सीएस पांडा (CS Panda) द्वारा दायर की गई थी. जिसमें उनकी तरफ से लिखा गया था कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के गंभीर मामले में हस्तक्षेप करना माननीय न्यायालय पर निर्भर है. वकीलों ने दावा किया था कि हाल के दिनों में हिंसा देश की राजनीतिक संस्कृति बन गई है. वकीलों ने कहा कि 'हिंसा से तबाह' उत्तर प्रदेश में कानून के शासन की रक्षा करने की जरूरत है, जो मीडिया रिपोर्ट्स से स्पष्ट है. यह भी पढ़े: Lakhimpur Kheri Violence: राहुल गांधी की मीडिया को दो टूक, कहा- हम मुद्दा उठाएं या सवाल पूछें तो आपको राजनीति लगती है, ऐसा नहीं होना चाहिए
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा (MoS Ajay Kumar Mishra) के गांव में आयोजित एक समारोह में, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का वहां के आंदोलन कर रहे किसानों ने विरोध किया. इस दौरान उनके काफिले को काले झंडे दिखाये गये और रास्ता रोकने की कोशिश की.
किसानों का आरोप है कि इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं से भारी गाड़ी ने कुछ किसानों को कुचल दिया. हादसे और इसके बाद भड़की हिंसा में आठ लोगों की मौत गई. जिसमें चार किसान, एक पत्रकार तीन बीजेपी के कार्यकर्ता शामिल हैं. हिंसा को लेकर किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा जिस एसयूवी में सवार था, उसी ने किसानों को कुचल दिया. जिसमें चार किसानों की मौत हो गई.