SC/ST वर्ग के लोगों के लिए जज बनने के मापदंड आसान करेंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई  (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक बेंच ने केरल (Kerala) के निचली अदालतों में आरक्षित वर्ग (Reserved Category) से एक भी जज के चयन नहीं होने पर मंगलवार को चिंता जाहिर की. दरअसल केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) को आरक्षित वर्ग से एक भी ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला जो निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारी (Judicial Officer) के लिए निर्धारित न्यूनतम अंक हासिल कर पाया हो. केरल हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को बताsया कि प्रारंभिक परीक्षा में पास होने के लिए न्यूनतम 35 प्रतिशत अंक और मुख्य परीक्षा में पास होने के लिए 40 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए थे. केवल तीन उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई कर पाए लेकिन इनमें से कोई भी न्यायिक अधिकारी के पद के लिए योग्य नहीं पाया गया.

2700 से ज्यादा उम्मीदवारों ने न्यायिक अधिकारी के 45 पदों के लिए परीक्षा दी थी और इसमें जनरल कैटेगरी के सिर्फ 31 उम्मीदवार ही चयनित हो पाए. सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एल. एन. राव और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट को पास होने के लिए न्यूनतम अंकों को कम कर देना चाहिए. शायद 35 फीसदी से 30 फीसदी, परिस्थिति के अनुसार. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि केरल जैसे राज्य में आपको न्यायिक अधिकारी के पदों के लिए 45 उम्मीदवार नहीं मिल सके. यह भी पढ़ें- हिंदू महिला का मुस्लिम पुरुष से विवाह करना अवैध और अमान्य, लेकिन संतान को पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का पूरा अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

सीजेआई रंजन गोगोई ने सामान्य परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए जहां जिन सेवाओं में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी के अनुपात में कम था, कहा कि न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व देने के लिए हाईकोर्ट आरक्षित वर्गों के लिए पास करने के न्यूनतम अंक को कम कर सकता है. नहीं तो आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार कभी परीक्षा पास ही नहीं कर पाएंगे और उनके लिए सुरक्षित रखे गए पद हमेशा खाली रह जाएंगे.