Chandrayaan-3 Successful: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Indian Space Research Organisation) ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर इतिहास रच दिया है. भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें इस मिशन पर टिकी थी. चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐतिहासिक क्षण है. इस मिशन से भारत अंतरिक्ष की दुनिया में पूरे विश्व को अपना दम दिखा चुका है. चंद्रयान-3 अपने साथ कई उपकरणों को ले गया है, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे.
भारत ने अपने इस मिशन के साथ एक दुनिया के तमाम बड़े और विकसित देशों को बता दिया है कि भारत की क्षमता कहां पहुंच चुकी है. चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी.
ISRO के नाम ऐतिहासिक उपलब्धि
चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है.
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके.
इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A3%E0%A5%80+%E0%A4%9B%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%B0+%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%2C+%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-3+%E0%A4%95%E0%A5%80+%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A4%AB%E0%A5%81%E0%A4%B2+%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%3B+%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE+%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%BE+%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%A6%E0%A4%AE', 900, 500);" href="javascript:void(0);" title="Share on Facebook">