Monsoon 2021: केरल में मानसून ने दी दस्तक, जानें आपके राज्य में कब तक होगा आगमन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit- Flickr)

Monsoon 2021 Hits Kerala Today: आखिरकार दो दिन की देरी के बाद आज (3 जून) केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon) दस्तक दे दी है. केरल में मानसून के पहुंचने के साथ ही देश में बारिश के चार महीने के मौसम की शुरुआत हो गई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्र ने कहा, ‘‘दक्षिण पश्चिम मानसून ने केरल के दक्षिणी हिस्सों में दस्तक दे दी है.’’ केरल में आमतौर पर दक्षिणपश्चिम मानसून एक जून तक पहुंचता है. Monsoon 2021 Forecast: मौसम विभाग ने बताया देश में कैसा रहेगा इस साल मानसून का हाल, किन-किन स्थानों पर होगी ज्यादा बरसात

मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आज दक्षिण अरब सागर, लक्षद्वीप क्षेत्र, दक्षिण केरल, दक्षिण तमिलनाडु, कोमोरिन-मालदीव क्षेत्र के शेष हिस्सों और दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है. इसके प्रभाव से अगले 3 दिनों के दौरान केरल और कर्नाटक में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है.

आईएमडी ने कहा कि मानसून अगले 2 दिनों के दौरान दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों, मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, केरल और लक्षद्वीप के शेष हिस्सों, तमिलनाडु और पुडुचेरी के कुछ और हिस्सों, तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक के कुछ हिस्सों, रायलसीमा (Rayalaseema) और दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ने की संभावना है.

वहीं, निचले स्तर की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के मजबूत होने के कारण अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में भीषण बारिश की संभावना है. 4 जून से 6 जून के दौरान अरुणाचल प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में भारी वर्षा की संभावना है. जबकि 3 जून से 7 जून तक असम और मेघालय और 5 जून-6 जून को नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में तेज बारिश होने की पूरी उम्मीद जताई गई है.

उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग ने इस साल पूरे देश में जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की मौसमी बारिश सामान्य और सुविरित रहने की संभावना जताई है. आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूवार्नुमान केंद्र ने कहा है कि मात्रा के हिसाब से, देश भर में कुल मिलाकर मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के 4 प्रतिशत कम/ज्यादा की मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 101 प्रतिशत रहने का अनुमान है. देश भर में कुल मिलाकर 1961-2010 की अवधि के लिए मौसमी वर्षा का एलपीए 88 सेमी है.

चार समरूप वर्षा में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के उत्तर पश्चिम भारत (92-108 प्रतिशत) और दक्षिण प्रायद्वीप (93-107 प्रतिशत) में सामान्य रहने की बहुत संभावना है. हालांकि, मौसमी वर्षा के पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम रहने का अनुमान है जबकि मध्य भारत में सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है. मानसून कोर जोन, जिसमें देश के अधिकांश वर्षा पूरित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है.