राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच सीएम गहलोत का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. वहीं सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट का खेमा कमजोर पड़ता नजर आ रहा है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक अशोक गहलोत के पास इस वक्त 107 विधायक हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के समर्थन में अभी 18 विधायक हैं जो कि सीएम आवास पर हो रही मीटिंग में शामिल नहीं हुए. इसी बीच सीएम अशोक गहलोत के साथ बैठक के बाद विधायकों को बसों के जरिए होटल ले जाया गया है. वहीं कांग्रेस के कई बड़े नेता अब भी सचिन पायलट को मनाने में जुटे हैं. जिसमें कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी समेत कई नेता शामिल है. वहीं रणदीप सुरजेवाला ने पहले ही कहा कि पार्टी ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके विधायकों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं.
इन सभी अटकलों के बीच लेकिन अभी तक सचिन पायलट ने कुछ भी खुलकर नहीं कहा है. जिससे साफ होता है कि पायलट अभी भी अपनी आखरी दांव जरुर खेलेंग. सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच इस वक्त वर्चस्व की लड़ाई हो रही है. शायद यही कारण है कि सीएम गहलोत ने सभी विधायकों को होटले में सुरक्षित रखने का फैसला लिया है. सीएम आवास के भीतर लग्जरी बसें मौजूद थी. जिनमें सभी समर्थित विधायकों को लेकर होटल की तरफ रवाना कर दिया गया है. इसी के साथ सुरक्षा को और बढ़ा दिया गया है. यह भी पढ़ें-Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे बोले- सचिन पायलट की बात सुनने के लिए तैयार लेकिन अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
ANI का ट्वीट:-
#Rajasthan : Buses seen outside the residence of Chief Minister Ashok Gehlot in Jaipur.
Congress Legislative Party (CLP) meeting is underway here, 107 MLAs present at the meet. pic.twitter.com/0D2gayciYG
— ANI (@ANI) July 13, 2020
फिलहाल कहा जा सकता है कि इस वक्त तो गहलोत की कुर्सी बच गई है. लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए इसका आंकलन करना असंभव है. सचिन पायलट को लेकर कुल 19 विधायक बैठक में नहीं आए हैं. जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि राज्य में अभी सियासी ड्रामा खत्म नहीं हुआ है. वहीं वेट एंड वाच कर रही बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सोमवार को कहा कि गठबंधन सहयोगी आरएलपी के तीन विधायकों सहित उनके पास 74 विधानसभा सदस्य हैं, लेकिन दूसरी पार्टियों के कई विधायक बीजेपी से जुड़ने को तैयार हैं. जो इशारा करता है कि बीजेपी भी सटीक समय का इंतजार कर रही है.