चंडीगढ़: केंद्र सरकार द्वारा हाल में लाए गए तीन कृषि अध्यादेशों (Agriculture Ordinance) के खिलाफ किसान मजदूर संघर्ष समिति ने पंजाब (Punjab) के अमृतसर (Amritsar) में विरोध प्रदर्शन किया है. पिछले कुछ दिनों से किसान केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 को लेकर विरोध कर रहे है.
किसान संगठन तीन केन्द्रीय कृषि अध्यादेशों को संसद में मंजूरी के लिए पेश न करने की अपील कर रहे है. किसानों को डर है कि इन अध्यादेशों का असर मौजूदा फसल खरीद नीति पर पड़ेगा. किसानों ने आशंका जताई है कि इन अध्यादेशों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ होगा और वे बड़े कॉरपोरेट घरानों पर निर्भर हो जाएंगे. इसलिए केंद्र सरकार को इन अध्यादेशों को वापस लेना चाहिए. किसानों की कर्ज माफी को लेकर कमलनाथ ने दी चौहान और सिंधिया को खुली चुनौती
Punjab: Kisan Mazdoor Sangharsh Committee stages protest in Amritsar against recent agriculture ordinances passed by the Union Cabinet. pic.twitter.com/WvwKif2kmK
— ANI (@ANI) September 14, 2020
जबकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ़ कहा है कि राज्य की एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को खरीदने की मौजूदा नीति पर इन अध्यादेशों का कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उसमें कोई बदलाव नहीं होंगे.
भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों ने केंद्र के तीन कृषि अध्यादेशों को ‘कृषक विरोधी’ करार देते हुए बीते गुरुवार को पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया था. जिसके बाद किसानों को जबरन हटाया गया.
इस बीच, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पांच जून को अध्यादेश के जरिए बीजेपी ने तीन केंद्रीय कानूनों को प्रवर्तित कर किसानों को गुलाम बनाने की रणनीति अपनाई है. केंद्र 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह व्यवहार कर रही है. कांग्रेस ने कहा कि किसानों की जमीन और उनके उत्पादों को लेने के लिए सरकार तीन कानून लेकर आई है. बीजेपी कॉरपोरेट्स के साथ मिलकर किसानों के उत्पादों को लेने के लिए साजिश रच रही है. इससे किसान कॉरपोरेट्स के ऋण तले दब जाएंगे.