NDA में शामिल होंगे अधीर रंजन चौधरी? रामदास अठावले ने कांग्रेस नेता को दिया खुला ऑफर

भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष रामदास अठावले ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को एक खुला प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल से हारने के कारण उनका अपमान और उपेक्षा हो रही है. कांग्रेस के इस रवैये के कारण कई लोग पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. मैं अधीर रंजन जी से अनुरोध करता हूं कि अगर कांग्रेस में उनका अपमान हो रहा है तो उन्हें कांग्रेस छोड़ देना चाहिए."

अठावले ने आगे कहा कि वे अधीर रंजन को एनडीए या अपनी पार्टी आरपीआई में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं. इससे पहले 30 जुलाई को अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर निशाना साधा था. एजेंसी के मुताबिक, चौधरी ने कहा था कि जिस दिन से मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने हैं, उसी दिन से पार्टी संविधान के अनुसार देश में पार्टी के सभी अन्य पद अस्थायी हो गए हैं. यहां तक कि मेरा पद भी अस्थायी हो गया है.

अधीर रंजन ने खड़गे पर हमला किया

अधीर रंजन ने कहा, "जब लोकसभा चुनाव चल रहे थे, तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने टेलीविजन पर कहा था कि जरूरत पड़ने पर मुझे बाहर रखा जाएगा. जबकि मैंने चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं के सामने अपनी राय रखी थी, खड़गे के इस बयान से मैं दुखी था. आपने देखा होगा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम भी कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि भले ही मैं अस्थायी पार्टी अध्यक्ष था, राज्य में हार के बाद इस हार के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना मेरी जिम्मेदारी थी. इसके बाद मैंने खड़गे जी से कहा कि अगर संभव हो तो आप मेरी जगह किसी और को दे सकते हैं."

इसके अलावा, अधीर रंजन ने आगे कहा कि इस दौरान, एआईसीसी ने मुझे पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं की एक बैठक बुलाने के लिए सूचित किया था. कहा गया था कि दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करने हैं. यह बैठक मेरी अध्यक्षता में बुलाई गई थी. अधीर रंजन ने कहा कि बैठक के समय तक मैं पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष था लेकिन बैठक के दौरान गुलाम अली मीर ने मुझे राज्य के पूर्व अध्यक्ष के रूप में संबोधित किया. तब मुझे पता चला कि मैं अब राज्य का अध्यक्ष नहीं हूं.

यह घटना कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी कलह और असंतोष का एक उदाहरण है. अधीर रंजन चौधरी की उपेक्षा और अपमान, उनके बयानों में साफ दिखाई दे रहा है. रामदास अठावले द्वारा दिया गया निमंत्रण, कांग्रेस नेताओं के असंतोष और पार्टी में मौजूद राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत है.