CM केजरीवाल के घर पर नहीं फहराया गया तिरंगा, पत्नी सुनीता ने मोदी सरकार पर तानाशाही का लगाया आरोप

भारत गुरुवार को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस अवसर पर सभी सरकारी कार्यालयों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के निवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक निवास पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया. इस पर सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने अपनी नाराजगी जताते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया.

सुनीता केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, "आज सीएम के निवास पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया. यह बहुत दुखद है. इस तानाशाही में एक चुने हुए मुख्यमंत्री को जेल में रखा जा सकता है, लेकिन दिल में बसे देशप्रेम को कैसे रोका जा सकता है?"

सुनीता ने अपने पोस्ट में आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी के पोस्ट को भी साझा किया, जिसमें आतिशी ने लिखा था, "आइए इस स्वतंत्रता दिवस पर संकल्प लें कि हम अपने आखिरी सांस तक तानाशाही के खिलाफ लड़ते रहेंगे."

तिरंगे को लेकर अनिश्चितता

अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल में होने के कारण, दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर राष्ट्रीय ध्वज कौन फहराएगा, इस पर अनिश्चितता बनी रही. केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा गिरफ्तार किया गया है. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

आतिशी को तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने मंगलवार को कहा कि वह कैबिनेट मंत्री आतिशी को मुख्यमंत्री की ओर से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार नहीं दे सकता. GAD ने इसे 'कानूनी रूप से अमान्य' बताया.

पिछले हफ्ते, केजरीवाल ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना को एक पत्र में कहा था कि दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान उनकी जगह कैबिनेट मंत्री आतिशी राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगी. हालांकि, एलजी कार्यालय ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से तिरंगा फहराने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली.

राजनीतिक विवाद की संभावना

इस घटना ने एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच के तनाव को उजागर किया है. इस मुद्दे पर आगे क्या होगा, यह देखने लायक होगा, लेकिन इस घटना ने दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज के न फहराए जाने का मामला अब एक राजनीतिक विवाद का रूप लेता दिख रहा है.