कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने रविवार को केरल केंद्र सरकार की तीन भाषा प्रणाली पर बात करते हुए कहा कि तीन भाषाओं के फार्मूले का समाधान विचार को छोड़ने से नहीं है बल्कि इसे बेहतर तरीके से लागू करना है. थरूर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "दक्षिण में हम में से अधिकांश हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में सीखते हैं, लेकिन उत्तर में कोई भी मलयालम या तमिल नहीं सीख रहा है." "समाधान तीन भाषाओं के फॉर्मूले को छोड़ना नहीं है बल्कि इसे बेहतर तरीके से लागू करना है."
थरूर ने कहा कि तीन-भाषा फॉर्मूला 1960 के दशक के मध्य में खारिज हो गया था इसे कभी ठीक से लागू नहीं किया गया. "हम में से अधिकांश लोग दक्षिण भारत में में दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखते हैं, लेकिन उत्तर में कोई भी मलयालम या तमिल नहीं सीख रहा है.
थरूर ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के मसौदे में, तीन-भाषा के फार्मूले में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में मातृभाषा के अलावा अंग्रेजी और हिंदी को शामिल करने की सिफारिश की गई है, जबकि हिंदी भाषी राज्यों में देश के अन्य हिस्सों से अंग्रेजी और एक भारतीय भाषा शामिल होनी चाहिए.
क्या है केंद्र की तीन भाषा प्रणाली
केंद्र सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक कम से कम 5वीं कक्षा अथवा 8वीं कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाने का सुझाव दिया गया है. साथ ही विशेषज्ञों के पैनल ने पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणालियों को शामिल करने, मातृभाषा के साथ-साथ 3 भारतीय भाषाओं का ज्ञान देने, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन करने और निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने सहित कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को शामिल किया है.