
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने मंगलवार को स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय भारत के रुख की आलोचना करना उनके लिए महंगा साबित हुआ. उन्होंने कहा कि भारत की अपनाई गई नीति के चलते आज देश वैश्विक स्तर पर शांति की पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
थरूर ने क्यों की थी भारत की आलोचना?
रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) के एक सत्र के दौरान थरूर ने बताया कि फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब उन्होंने भारत की स्थिति की आलोचना की थी. उन्होंने कहा, "मैं अभी भी अपनी उस शर्मिंदगी को कम करने की कोशिश कर रहा हूं. मैंने उस समय भारत के रुख की आलोचना इसलिए की थी क्योंकि मुझे लगा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन हुआ है, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की अनुल्लंघनीयता का सिद्धांत तोड़ा गया है और एक स्वतंत्र देश यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला हुआ है."
भारत की नीति से मिली अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
थरूर ने कहा कि भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित नीति अपनाई, जिसका सकारात्मक प्रभाव अब देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा, "आज भारत ऐसी स्थिति में है कि उसका प्रधानमंत्री दो हफ्तों के अंतराल में यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति दोनों से गले मिल सकता है और दोनों ही देश भारत की स्थिति को स्वीकार कर सकते हैं." यह भारत की कूटनीतिक क्षमता को दर्शाता है.
कूटनीतिक रणनीति का असर
भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में किसी एक पक्ष का समर्थन करने के बजाय बातचीत और शांति समाधान पर जोर दिया. इसके चलते भारत न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सका, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक प्रमुख मध्यस्थ के रूप में उभरा. थरूर ने कहा कि आज की परिस्थिति में भारत की तटस्थ नीति उसे विश्व शांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दे रही है.
थरूर के बयान का राजनीतिक असर
शशि थरूर के इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. उनकी स्वीकृति को कुछ लोग उनके विचारों में बदलाव मान रहे हैं, तो कुछ इसे भारत की विदेश नीति की सफलता के रूप में देख रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया आती है.
भारत की कूटनीतिक नीतियां वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को मजबूत कर रही हैं. शशि थरूर का आत्मस्वीकृति भले ही व्यक्तिगत स्तर पर हो, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की विदेश नीति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी साख को और मजबूत किया है.