लखनऊ: बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने दोबारा बगावती सुर अख्तियार करते हुए पार्टी के दलित प्रेम पर सवाल उठाया है. सावित्री ने राजनेताओं द्वारा दलितों के घरों में खाना खाने को नौटंकी और दलितों का अपमान बताया है. उन्होंने कहा कि आज भी अनुसूचित जाति के प्रति लोगों की मानसिकता साफ नहीं है.
दलित परिवार के घर होटल से मंगवा कर भोजन करने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सावित्री ने कहा कि लोग दलितों के घर में खाना खाने तो जाते हैं लेकिन उनका बनाया हुआ खाना नहीं खाते. उनके लिये बाहर से बर्तन आते हैं, बाहर से खाना बनाने वाले आते हैं, वे ही परोसते भी हैं. दिखावे के लिए दलित के दरवाजे पर खाना खाकर फोटो खिंचवायी जा रही है और उन्हें व्हाट्सअप, फेसबुक पर वायरल किये जाने के साथ-साथ टीवी चैनलों पर वाहवाही लूटी जा रही है. इससे पूरे देश के बहुजन समाज का अपमान हो रहा है.
बात दें कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री सुरेश राणा एक दलित परिवार के घर भोजन कर विवादों में फंस गए. जानकारी के मुताबिक राणा और कई बीजेपी नेता अलीगढ़ जिले के लौहगढ़ के रहने वाले रजनीश कुमार के घर रात करीब 11 बजे पहुंचे और खाना और पानी होटल से मंगवाकर खाया.
“मैं सांसद हूं और मुझे भाजपा सांसद के बजाय दलित सांसद कहा जाता है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दलित राष्ट्रपति कहा जाता है. क्या यह अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान नहीं है. इस नजरिये से आज भी संविधान को नहीं माना जा रहा है. अगर संविधान को उसकी मूल भावना से लागू कर दिया जाये, तो देश में गैर बराबरी और जाति व्यवस्था खुद-ब-खुद ही खत्म हो जायेगी.”
उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाना है तो उनके घर पर खाना खाने के बजाय उनके लिये रोटी, कपड़े, मकान और रोजगार का इंतजाम किया जाए. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के लिये नौकरियां सृजित करे. केवल खाना खाने से अनुसूचित जाति के लोग आपसे नहीं जुड़ेंगे.
मालूम हों कि इससे पहले भी सावित्री बाई फुले ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय संविधान एवं आरक्षण खतरे में पड़ गया है. गोपनीय ढंग से आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है. जिसके खिलाफ वह खड़ी हैं और बहुजन समाज के हक की लड़ाई लड़ती रहेंगी.