
जर्मनी यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार बनाने में मदद करेगा. हालांकि, लंबी दूरी तक मार करने वाली टॉरस मिसाइल देने का मामला एक बार फिर टल गया है.जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स लंबे समय से यूक्रेन को जर्मन टॉरस मिसाइल देने की वकालत करते आए हैं. चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने इसकी कई बार चर्चा की. हालांकि, अब जबकि उनके पास इस बारे में फैसला करने का मौका था, उन्होंने इसे टाल दिया. बुधवार को जब बर्लिन में उन्होंने बतौर चांसलर पहली बार यूक्रेनी राष्ट्रपति की मेजबानी की, तो सबकी नजरें इसी बात पर टिकी थीं कि क्या वह टॉरस को लेकर कोई एलान करेंगे.
घोषणाओं में टॉरस का जिक्र नहीं
गर्मजोशी के साथ हुई मुलाकात के बाद जब घोषणाओं का पिटारा खुला, तो उसमें टॉरस का जिक्र नहीं था. जर्मन चांसलर ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मिसाइल बनाने में मदद का वादा जरूर किया है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जेलेंस्की लंबे समय से इसकी मांग जर्मनी से करते आ रहे हैं.
टॉरस मिसाइल के बारे में पूछे जाने पर मैर्त्स ने कहा कि वह इससे इनकार नहीं करते. हालांकि, उन्होंने इसके साथ ही कहा कि युद्ध के मैदान में शायद उससे तुरंत ज्यादा मदद नहीं मिलेगी. सरकारी प्रसारक जेडडीएफ से मैर्त्स ने कहा, "निश्चित रूप से यह संभव होने के दायरे में है." हालांकि, मैर्त्स ने यह भी कहा कि मिसाइल के इस्तेमाल के लिए सैनिकों को यूक्रेन में कई महीने की ट्रेनिंग करनी होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर यह सिस्टम छह महीने या साल भर में यूक्रेन को मिलेगा, तो उससे यूक्रेन की तत्काल मदद नहीं होगी. यही वजह है कि जर्मनी यूक्रेन के लिए अपना सहयोग और समर्थन बेहतर कर रहा है.
यूक्रेन को क्यों चाहिए मिसाइल
बर्लिन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैर्त्स ने कहा, "हम उन्हें लंबी दूरी के हथियार के लायक बनाना चाहते हैं. हम संयुक्त निर्माण के लिए तैयार होना भी चाहते हैं." जर्मन चांसलर का कहना है कि यह कदम, "जर्मनी और यूक्रेन के बीच एक नए तरह के सैन्य औद्योगिक सहयोग की शुरुआत करेगा, जिसमें बड़ी संभावनाएं हैं."
यूक्रेन रूस के साथ तीन साल से ज्यादा समय से पूर्ण युद्ध लड़ रहा है. यूक्रेन को मिसाइलों की जरूरत है जो रूसी इलाके में अंदर घुसकर हवाई अड्डों और सप्लाई लाइन को निशाना बना सकें, खासतौर से वे जगहें जहां से यूक्रेन पर हमले होते हैं.
मैर्त्स के पूर्ववर्ती ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मनी में बनी टॉरस मिसाइलें यूक्रेन को देने का लगातार विरोध किया था. उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऐसा करने से जर्मनी और रूस के बीच तनाव बढ़ जाएगा.
मैर्त्स ऐसा नहीं सोचते. उन्होंने एक हफ्ते पहले ही अपनी स्थिति साफ कर दी थी. उन्होंने घोषणा की थी कि यूक्रेन जर्मन हथियारों का कहां इस्तेमाल कर सकता है, इससे जुड़ी सारी सीमाएं हटा ली गई हैं. हालांकि, जेलेंस्की ने इस दौरे पर भी साफ किया कि वह टॉरस चाहते हैं, "निश्चित रूप से हमें उसकी जरूरत है."
लंबी दूरी की मिसाइल बनाने पर करार
दोनों नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पेस्टोरियस और उनके यूक्रेनी समकक्ष रूस्तेम उमेरोव ने एक लिखित घोषणा पत्र पर दस्तखत किए, जिसमें यूक्रेन में लंबी दूरी के हथियार बनाने के लिए धन देने की बात है.
मंत्रालय का कहना है कि यह पैकेज करीब 5 अरब यूरो का है. मंत्रालय का कहना है कि इस योजना के तहत, "इस साल बड़ी संख्या में लंबी दूरी के हथियार बनाना संभव होगा."
इस घोषणा पर रूस की ओर से राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने जर्मन नेता पर अपनी घोषणाओं से युद्ध और भड़काने का आरोप लगाया. पेस्कोव का कहना है, "यह और कुछ नहीं बस यूक्रेनी लोगों को लड़ते रहने के लिए मजबूर करना है." उन्होंने जर्मनी पर संघर्ष के कूटनीतिक समाधान को दूर करने का भी आरोप लगाया.
जर्मन विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने रूसी प्रतिक्रियाओं का जवाब दिया है. वाडेफुल का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध खत्म नहीं करना चाहते. अमेरिका के दौरे पर गए वाडेफुल ने फॉक्स न्यूज से कहा, "रूस ने यह युद्ध शुरू किया. रूस इस संघर्ष को जारी रखना चाहता है और इसे खत्म नहीं कर रहा."
इससे पहले वाडेफुल ने यूरोपीय लोगों से आग्रह किया था कि वे यूक्रेन को अपने इलाके की रक्षा के लिए हर संभव मदद दें. इस बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूसी समाचार एजेंसी तास से कहा है कि यूक्रेनी मिसाइलों के उत्पादन के लिए धन देकर जर्मनी खुद को युद्ध में सीधे घसीटे जाने की अनुमति दे रहा है.