राजस्थान में शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की पहली मीटिंग आयोजित की गई. इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं. गहलोत सरकार ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) द्वारा बंद की गई कांग्रेस की योजनाओं फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है. इस मीटिंग में सबसे बड़ा फैसला गहलोत कैबिनेट में पंचायती और निकाय चुनाव में शैक्षणिक योग्यता खत्म कर दी है. वसुंधरा राजे की सरकार के समय पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव के लिए शैक्षणिक योग्यता के मापदंड निर्धारित किए गए थे जिसमें आठवीं से लेकर 10वीं पास लोग ही चुनाव लड़ सकते थे. सरपंच, प्रधान और दूसरे स्थानीय निकायों के पदों के लिए आठवीं और दसवीं पास होना जरूरी था.
वसुधंरा राजे द्वारा बंद की गई योजनाओं को शुरू करते हुए गहलोत सरकार ने डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को फिर से शुरू करने का ऐलान किया है. बता दें कि वसुंधरा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन दोनों विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया था.
वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाई गई
इसके अलावा शनिवार की मीटिंग में फैसला लिया गया कि फसल कर्ज माफ करने के लिए अंतर विभागीय कमेटी गठन का गठन किया जाएगा. इस मींटिंग में वृद्धावस्था पेंशन भी बढ़ाने का फैसला लिया गया. अब तक जिन लोगों को इस पेंशन के 500 रुपये प्रति माह मिलते थे उन्हें अब 750 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे. इसके अलावा जिन लोगों को 750 प्रति माह मिलते थे उन्हें अब 1000 रुपये प्रति माह मिलेंगे.
जनसुनवाई को लेकर अहम फैसला
इस मीटिंग में फैसला लिया गया कि राज्य में रोजाना सभी मंत्री सुबह 9:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक अपने घरों पर जनसुनवाई करेंगे. बता दें कि इससे पहले वसुंधरा राजे की सरकार के समय जनसुनवाई बीजेपी कार्यालय में होती थी.
दीनदयाल उपाध्याय का लोगो हटाया गया
राज्य सरकार ने सभी लेटरपैड से दीनदयाल उपाध्याय का लोगो को हटा दिया है. इसके स्थान लेटरपैड पर बस अब अशोक स्तंभ का चिन्ह होगा. पर गौरतलब है कि दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह मनाने को लेकर वसुंधरा सरकार ने आदेश दिया था कि सभी तरह के पत्र व्यवहार और जमीनों के पट्टों में दीनदयाल उपाध्याय की लोगो होगा.