लोकसभा चुनाव नतीजे 2019: बहुमत नहीं मिलने पर इन 3 दलों से समर्थन ले सकती है बीजेपी
बीजेपी (Photo Credits: Twitter)

देश में 5 चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. अभी केवल 2 चरणों के चुनाव शेष है. छठे और सातवें चरण के लिए उत्तर भारत के राज्यों में वोटिंग होनी है. सियासी पंडितों का कहना है कि 23 मई को चौकाने नतीजे. कयास लगाये जा रहे है कि NDA या UPA किसी को भी बहुमत नहीं मिलेगा. बीजेपी नेता राम माधव खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरुरत पड़ेगी. वैसे, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और तमिलनाडू समेत कई राज्यों में गठबंधन किया हुआ है. 2014 में बीजेपी ने 27 पार्टियों के साथ गठबंधन किया था. तब बीजेपी को 282 तो NDA को 336 सीट हासिल हुई थी. मगर बाद में टीडीपी और आरएलएसपी ने NDA का साथ छोड़ दिया.

2014 और अभी की स्थिति में काफी अंतर है. बीजेपी को कांग्रेस समेत कई क्षेत्रीय दलों से कड़ी टक्कर मिल रही है. ऐसे में अगर बीजेपी सत्ता से दूर रहती है और उन्हें समर्थन की जरुरत पड़ती है तो ये दल उन्हें समर्थन दे सकते हैं.

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वाईएसआर कांग्रेस:

आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन्मोहन रेड्डी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी वाईएसआर कांग्रेस का निर्माण किया था. इस पार्टी ने अभी तक किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है. ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के चलते जगन्मोहन को आंध्र में समर्थन मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. वे बीजेपी को समर्थन दे सकते है.

टीआरएस:

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पर भी बीजेपी की नजर होगी. टीआरएस अध्यक्ष ने राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनावों में NDA के पक्ष में वोटिंग की थी. वैसे, सूबे में उनकी मुख्य लड़ाई कांग्रेस से है ऐसे में केसीआर NDA को समर्थन दे सकते हैं.

बीजेडी:

नवीन पटनायक 19 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं. 2014 आम चुनावों में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने 21 में से 20 सीटों में जीत दर्ज की थी. इस बार हालांकि बीजेपी सूबे में तेजी से उभर रही हैं और पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी हैं. मगर फिर भी लोकसभा चुनावों के बाद नवीन पटनायक की भूमिका काफी अहम होगी. बीजेपी चुनावों के बाद उनसे समर्थन मांग सकती है.

बता दें कि इस चुनाव में मतदाताओं की संख्या लगभग 90 करोड़ है, जो 2014 के 81.45 करोड़ से अधिक है. इसमें से 1.50 करोड़ पहली बार मतदाता बने हैं, जिनकी उम्र 18-19 साल है.