नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को 28 जनवरी को पेश करने के लिए मंगलवार को वारंट जारी किया. जिला न्यायाधीश पूनम ए बांबा ने कुमार की पेशी को लेकर यह वारंट तब जारी किया जब तिहाड़ जेल के अधिकारी उन्हें आज पेश नहीं कर पाए. दंगों के एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से कुमार तिहाड़ जेल में बंद हैं.
निचली अदालत में चल रहे इस दूसरे मामले में तीन व्यक्तियों - कुमार, ब्रह्मानंद गुप्ता (Brahmanand Gupta) और वेद प्रकाश (Ved Prakash) पर दंगे भड़काने एवं हत्या के आरोप हैं. इन सभी पर ये आरोप सुल्तानपुरी में सुरजीत सिंह की हत्या के संबंध में तय किए गए हैं. ये दंगे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर, 1984 को हत्या किए जाने के बाद भड़के थे. प्रत्यक्षदर्शी चम कौर ने पिछले साल 16 नवंबर को अदालत के सामने कुमार की उस व्यक्ति के तौर पर पहचान की थी जिसने सिखों को मारने के लिए भीड़ को कथित तौर पर उकसाया.
1984 anti-Sikh riots: Production warrant issued against Sajjan Kumar in connection with Sultanpuri case. Next date of hearing is 28 January. (file pic) pic.twitter.com/wICJMbwcU7
— ANI (@ANI) January 22, 2019
कौर ने अदालत को बताया था कि उन्होंने 1984 में राष्ट्रीय राजधानी के सुल्तानपुरी इलाके में कुमार को एक भीड़ को कथित तौर पर संबोधित करते हुए देखा था. उन्होंने अदालत को बताया, "एक नवंबर 1984 को जब मैं अपनी बकरी ढूंढने के लिए बाहर निकली, मैंने आरोपी सज्जन कुमार को एक भीड़ से कहते सुना, 'हमारी मां मार दी, सरदारों को मार दो." उन्होंने बताया कि अगली सुबह उनके बेटे एवं पिता की हत्या कर दी गई थी.
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कौर ने बताया कि उनके बेटे कपूर सिंह एवं पिता सरदारजी सिंह को बुरी तरह पीटा गया और छत से नीचे फेंक दिया गया था. कौर से पहले एक अन्य अहम गवाह शीला कौर ने कुमार की पहचान की थी जिन्होंने सुल्तानपुरी में भीड़ को हिंसा के लिए भड़काया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले को कड़कड़डूमा अदालत से पटियाला हाउस (Patiala House) अदालत स्थानांतरित कर दिया था.
और जिला न्यायाधीश को आरोपियों के खर्चे पर कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने के निर्देश दिए थे. कुमार एवं अन्य दोनों आरोपी-ब्रह्मानंद गुप्ता एवं वेद प्रकाश यह खर्च उठाने के लिए तैयार थे. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में पिछले साल 17 दिसंबर को कुमार को दोषी ठहराते हुए ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी.