UP: लोकसभा चुनाव के बाद अब 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव की जंग! BJP और सपा-कांग्रेस की रणनीति की फिर होगी परीक्षा

यूपी में 9 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं जिन पर उपचुनाव होना है. ये सीटें लोकसभा चुनाव में जीतने वाले विधायकों की वजह से खाली हुई हैं.

Close
Search

UP: लोकसभा चुनाव के बाद अब 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव की जंग! BJP और सपा-कांग्रेस की रणनीति की फिर होगी परीक्षा

यूपी में 9 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं जिन पर उपचुनाव होना है. ये सीटें लोकसभा चुनाव में जीतने वाले विधायकों की वजह से खाली हुई हैं.

राजनीति Shubham Rai|
UP: लोकसभा चुनाव के बाद अब 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव की जंग! BJP और सपा-कांग्रेस की रणनीति की फिर होगी परीक्षा

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. सत्तारूढ़ बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ही आने वाले विधानसभा उपचुनावों को लेकर रणनीतियां बना रही हैं. यूपी में 9 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं जिन पर उपचुनाव होना है. ये सीटें लोकसभा चुनाव में जीतने वाले विधायकों की वजह से खाली हुई हैं.

बीजेपी के लिए ये उपचुनाव लोकसभा चुनाव में मिली हार की भरपाई करने का मौक़ा है. पार्टी ने लोकसभा में अपनी आधी सीटें गंवा दी हैं और ये उपचुनाव उनका नुकसान कम करने का एक मौक़ा है. वहीं, समाजवादी पार्टी भी लोकसभा चुनाव में मिली जीत की लहर को बरकरार रखने के लिए इन सीटों को जीतना चाहती है.

अखिलेश की करहल सीट पर सबकी नज़र

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद चुने गए हैं. इसका मतलब है कि उनकी करहल विधानसभा सीट खाली हो गई है. इस सीट पर सबकी नज़र है. माना जा रहा है कि इस सीट पर अखिलेश के भतीजे और पूर्व सांसद, तेज प्रताप यादव को मौक़ा मिल सकता है. तेज प्रताप अखिलेश के विश्वासपात्र हैं और उन्होंने कन्नौज और मैनपुरी के चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई थी.

सपा-भाजपा की रणनीति की फिर परीक्षा

इन सीटों पर उपचुनाव समाजवादी पार्टी और बीजेपी की रणनीति की परीक्षा भी होगी. ये सीटें पहले सपा और बीजेपी के पास थीं. बीजेपी को अपनी सीटों के अलावा सपा के खाते वाली सीटों को भी जीतना होगा ताकि लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई हो सके. वहीं, सपा अपनी जीत का सिलसिला जारी रखना चाहेगी.

गठबंधन दलों के तालमेल की भी परीक्षा

इसके साथ ही इन सीटों पर उपचुनाव से गठबंधन के सहयोगियों के बीच तालमेल की भी परीक्षा होगी. बिजनौर से सांसद बनने वाले चंदन चौहान मीरापुर से आरएलडी के विधायक थे. अब ये सीट उपचुनाव में भी आरएलडी के खाते में जाएगी. बीजेपी-आरएलडी के तालमेल की यहां परीक्षा होगी. इसी तरह लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली कांग्रेस सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगी या नहीं, यह देखना अहम होगा. कांग्रेस इन सीटों में अपनी हिस्सेदारी भी मांग सकती है.

अयोध्या को लेकर ख़ास तैयारी

लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट के रिज़ल्ट की सबसे ज़्यादा चर्चा रही. बीजेपी प्रत्याशी और सांसद लल्लू की हार और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद की जीत बीजेपी के लिए सबसे ज़्यादा निराशाजनक रही. ऐसे में अयोध्या की मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव की लड़ाई बीजेपी के लिए प्राथमिकता होगी. वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी जीती हुई इस विधानसभा सीट को हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे. सपा ने रणनीति के तहत इसमें सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी को उतारा था. अब मिल्कीपुर सीट के लिए अवधेश प्रसाद के बेटे अमित प्रसाद की चर्चा है. लेकिन सपा अपने किसी अन्य स्थानीय नेता को भी मौक़ा दे सकती है. ये उपचुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आएंगे और दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला और भी तेज़ हो जाएगा.

शहर पेट्रोल डीज़ल
New Delhi 96.72 89.62
Kolkata 106.03 92.76
Mumbai 106.31 94.27
Chennai 102.74 94.33
View all
Currency Price Change
Google News Telegram Bot
Close
Latestly whatsapp channel