नई दिल्ली: इन्फैंट्री डे के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन बहादुर सैनिकों और पूर्व सैनिकों के अदम्य साहस को सलाम किया, जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, "हम सभी रैंक और इन्फैंट्री के दिग्गजों के साहसी जज़्बे को नमन करते हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहकर हमारे देश की रक्षा करते हैं."
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि इंफैंट्री के जवान हर मुश्किल घड़ी में देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. उनका शौर्य, बलिदान और कर्तव्यपरायणता हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है. यही योद्धा हर चुनौती का सामना करते हुए हमें सुरक्षित और निडर महसूस कराते हैं.
On Infantry Day, we all salute the indomitable spirit and courage of all Ranks and Veterans of the Infantry, who tirelessly protect us. They always stand resolute in the face of any adversity, ensuring the safety and security of our nation. The infantry embodies the essence of… pic.twitter.com/lJHRob40ya
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2024
इन्फैंट्री हमारे राष्ट्र की रक्षा का सबसे मजबूत स्तंभ है, जो शक्ति, साहस और सेवा की मिसाल पेश करता है. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भी अपील की कि वे इन जांबाज सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखें और उनका सम्मान करें. इस मौके पर सभी ने मिलकर इन वीर जवानों के अटूट जज़्बे को सलाम किया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया. जय हिंद!
27 अक्टूबर को हर साल देशभर में इंफैंट्री डे या पैदल सेना दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारतीय पैदल सेना के अभूतपूर्व साहस और बलिदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है. आजादी के बाद कश्मीर में हुए पहले सैन्य अभियान की स्मृति में इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को पीछे धकेलते हुए कश्मीर की रक्षा की थी.
इतिहास और गौरवशाली घटना
1947 में पाकिस्तान ने कबायली हमलावरों की मदद से कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयास किया. ऐसे समय में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट ने 27 अक्टूबर को श्रीनगर एयरबेस पर पहुंचकर साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय दिया. चूंकि सड़कों के माध्यम से सैनिकों को भेजने में देरी होती, इसलिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आपातकालीन बैठक में वायुसेना के जरिए सैनिकों को तुरंत युद्धक्षेत्र में उतारने का फैसला किया.
26 अक्टूबर की रात को लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के तहत, अगले दिन यानी 27 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना के विमानों ने सैनिकों को श्रीनगर पहुंचाया. लेफ्टिनेंट कर्नल दीवान रंजीत राय के नेतृत्व में सैनिकों ने मोर्चा संभाला और दुश्मनों के इरादों को नाकाम कर दिया. यह वही ऐतिहासिक दिन था जब भारतीय पैदल सेना ने अद्वितीय वीरता का परिचय देते हुए कश्मीर की धरती को सुरक्षित रखा.
शौर्य और बलिदान की मिसाल
पैदल सेना के जवान हर मुश्किल परिस्थिति में देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं. चाहे मौसम की मार हो या दुश्मन की गोलियां, भारतीय इन्फैंट्री हमेशा आगे बढ़कर देश की रक्षा करती है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य उन हजारों वीर जवानों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया.
पैदल सेना दिवस न केवल एक ऐतिहासिक दिन है बल्कि देश के उन बहादुर सैनिकों के बलिदान को सम्मानित करने का भी दिन है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए. इस दिन हम सभी को अपने सैनिकों के प्रति गर्व महसूस करना चाहिए और उनकी वीरता को हमेशा याद रखना चाहिए.