योगी सरकार ने किया बड़ा ऐलान, अब वह दिन दूर नहीं, जब मेडिकल हब बनकर चमकेगा UP का नाम

वो कहावत तो सुनी ही होगी आपने कि कड़ी मेहनत का फल सदैव मीठा होता है. ऐसा ही प्रतिफल जल्द उत्तर प्रदेश को मिलने वाला है. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं, जब यूपी को देश में मेडिकल हब के रूप में जाना जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे बिहार और नेपाल के रोगियों को भी इलाज में काफी सहूलियत मिलने वाली है.

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योगी सरकार ने किया बड़ा ऐलान, अब वह दिन दूर नहीं, जब मेडिकल हब बनकर चमकेगा UP का नाम

वो कहावत तो सुनी ही होगी आपने कि कड़ी मेहनत का फल सदैव मीठा होता है. ऐसा ही प्रतिफल जल्द उत्तर प्रदेश को मिलने वाला है. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं, जब यूपी को देश में मेडिकल हब के रूप में जाना जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे बिहार और नेपाल के रोगियों को भी इलाज में काफी सहूलियत मिलने वाली है.

देश IANS|
योगी सरकार ने किया बड़ा ऐलान, अब वह दिन दूर नहीं, जब मेडिकल हब बनकर चमकेगा UP का नाम
सीएम योगी (Photo Credits PTI)

वो कहावत तो सुनी ही होगी आपने कि कड़ी मेहनत का फल सदैव मीठा होता है. ऐसा ही प्रतिफल जल्द उत्तर प्रदेश को मिलने वाला है. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं, जब यूपी को देश में मेडिकल हब के रूप में जाना जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे बिहार और नेपाल के रोगियों को भी इलाज में काफी सहूलियत मिलने वाली है. यानि उत्तर प्रदेश न केवल अपने राज्य के लोगों को चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करेगा बल्कि पड़ोसी देश नेपाल की भी मदद करेगा.

‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज’ नीति पर हर जिले में बनाए जा रहे मेडिकल कॉलेज

वहीं प्रदेशवासियों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले भटकने से मुक्ति मिलेगी. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि ऐसा इसलिए हो पाया है कि 25 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में आजादी के बाद पहली बार चिकित्सा सुविधाओं में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहा है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज’ नीति के तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है.

इलाज के लिए एक भटकने से मिलेगी राहत

प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने की मुहिम से प्रदेश ने ऊंची उड़ान भरी है. इससे राजधानी लखनऊ पर प्रदेश के अन्य जिलों से आने वाले रोगियों का भार कम होगा और जिले स्तर पर उपचार की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होने से लोगों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाने से भी राहत मिलेगी. कोरोना की पहली, दूसरी और सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए भी चिकित्सा सुविधाओं में युद्ध स्तर पर इजाफा किया जा रहा है.

यूपी में 17 से अब 33 हुए मेडिकल कॉलेज

उन्होंने बताया कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले मात्र 17 मेडिकल कॉलेज, संस्थान और विश्विद्यालय थे, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में अब यह बढ़कर 33 हो गए हैं. नौ जिलों देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में 2334 करोड़ की लागत से मेडिकल कालेज बनकर तैयार हो गए हैं और अब 30 जुलाई को इनका लोकार्पण होना है. यह भी पढ़े : PM मोदी कैबिनेट से हटाए गए मंत्रियों की नई भूमिका पर अनिश्चितता

17 सौ सीटें एमबीबीएस की और तीन हजार बेड भी बढ़े

प्रवक्ता के अनुसार उत्तर प्रदेश में सिर्फ मेडिकल क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं हो रहा, बल्कि नए डॉक्टर भी तैयार हो रहे हैं. पिछले साढ़े चार साल में आठ सौ सीटें एमबीबीएस की बढ़ी हैं और अक्टूबर से नौ सौ और बढ़ने वाली हैं. इसी तरह पीजी की सीटें 2016 में 741 थीं और अब बढ़कर 1,027 हो गई हैं. इनमें भी अगले सत्र से बढ़ोत्तरी होनी तय है. इसके अलावा नए बने नौ मेडिकल कॉलेजों में करीब तीन हजार बेडों की भी बढ़ोत्तरी हुई है.

साढ़े छह हजार से अधिक लोगों को मिला नौकरी और रोजगार

उन्होंने बताया कि नए बने नौ मेडिकल कॉलेजों में 70 प्रतिशत से अधिक फैकल्टी का चयन किया जा चुका है. 459 फैकल्टी के पदों के सापेक्ष 258 और सीनियर रेजिडेंट के 216 पदों के सापेक्ष 164 की भर्ती हो चुकी है. जॉइनिंग की प्रक्रिया चल रही है. इसी तरह 402 जूनियर रेजिडेंट रखे जा रहे हैं. हर मेडिकल कॉलेज में 460 पैरा मेडिकल स्टाफ और 225 नर्सें रखी जा रही हैं. यानि कुल 6,165 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है.

2022 में मिलेंगे 14 और जिलों को मेडिकल कॉलेज

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश के अमेठी, औरैया, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, गोंडा, कानपुर देहात, कौशांबी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और सुल्तानपुर जिले में 2022 तक मेडिकल कॉलेजों की सौगात मिलेगी. इनका निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा 16 शेष जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर ली गई है और सीएम योगी ने नीति का प्रजेंटेशन भी देख लिया है. आशा है कि जल्द नीति जारी कर दी जाएगी.

गोरखपुर में एम्स का लोकार्पण व आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी जल्द

उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 30 निजी मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं. भविष्य में इनमें और बढ़ोत्तरी की सम्भावना है. इसके अलावा रायबरेली और गोरखपुर में एम्स का संचालन हो रहा है. गोरखपुर एम्स में फिलहाल, ओपीडी सेवाएं शुरू हैं. जल्द ही यहां अन्य सेवाओं की भी शुरुआत होने वाली है. गोरखपुर में एम्स का लोकार्पण और आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी जल्द होने वाला है.

लखनऊ में बन रहा चिकित्सा विश्वविद्यालय

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर लखनऊ में बनने वाले अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सुल्तानपुर रोड पर स्थित चक गंजरिया सिटी परियोजना में राज्य सरकार द्वारा 50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. इसका भवन करीब 200 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा. पहले चरण में प्रशासनिक भवन, ऑडिटोरियम, संग्रहालय, अतिथि गृह, आवास व अन्य निर्माण किए जाएंगे. चिकित्सा विश्वविद्यालय के तहत प्रदेश के करीब साठ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, करीब 300 नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल प्रशिक्षण संस्थान आएंगे.

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योगी सरकार ने किया बड़ा ऐलान, अब वह दिन दूर नहीं, जब मेडिकल हब बनकर चमकेगा UP का नाम
सीएम योगी (Photo Credits PTI)

वो कहावत तो सुनी ही होगी आपने कि कड़ी मेहनत का फल सदैव मीठा होता है. ऐसा ही प्रतिफल जल्द उत्तर प्रदेश को मिलने वाला है. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं, जब यूपी को देश में मेडिकल हब के रूप में जाना जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे बिहार और नेपाल के रोगियों को भी इलाज में काफी सहूलियत मिलने वाली है. यानि उत्तर प्रदेश न केवल अपने राज्य के लोगों को चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करेगा बल्कि पड़ोसी देश नेपाल की भी मदद करेगा.

‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज’ नीति पर हर जिले में बनाए जा रहे मेडिकल कॉलेज

वहीं प्रदेशवासियों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले भटकने से मुक्ति मिलेगी. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि ऐसा इसलिए हो पाया है कि 25 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में आजादी के बाद पहली बार चिकित्सा सुविधाओं में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहा है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज’ नीति के तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है.

इलाज के लिए एक भटकने से मिलेगी राहत

प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने की मुहिम से प्रदेश ने ऊंची उड़ान भरी है. इससे राजधानी लखनऊ पर प्रदेश के अन्य जिलों से आने वाले रोगियों का भार कम होगा और जिले स्तर पर उपचार की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होने से लोगों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाने से भी राहत मिलेगी. कोरोना की पहली, दूसरी और सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए भी चिकित्सा सुविधाओं में युद्ध स्तर पर इजाफा किया जा रहा है.

यूपी में 17 से अब 33 हुए मेडिकल कॉलेज

उन्होंने बताया कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले मात्र 17 मेडिकल कॉलेज, संस्थान और विश्विद्यालय थे, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में अब यह बढ़कर 33 हो गए हैं. नौ जिलों देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में 2334 करोड़ की लागत से मेडिकल कालेज बनकर तैयार हो गए हैं और अब 30 जुलाई को इनका लोकार्पण होना है. यह भी पढ़े : PM मोदी कैबिनेट से हटाए गए मंत्रियों की नई भूमिका पर अनिश्चितता

17 सौ सीटें एमबीबीएस की और तीन हजार बेड भी बढ़े

प्रवक्ता के अनुसार उत्तर प्रदेश में सिर्फ मेडिकल क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं हो रहा, बल्कि नए डॉक्टर भी तैयार हो रहे हैं. पिछले साढ़े चार साल में आठ सौ सीटें एमबीबीएस की बढ़ी हैं और अक्टूबर से नौ सौ और बढ़ने वाली हैं. इसी तरह पीजी की सीटें 2016 में 741 थीं और अब बढ़कर 1,027 हो गई हैं. इनमें भी अगले सत्र से बढ़ोत्तरी होनी तय है. इसके अलावा नए बने नौ मेडिकल कॉलेजों में करीब तीन हजार बेडों की भी बढ़ोत्तरी हुई है.

साढ़े छह हजार से अधिक लोगों को मिला नौकरी और रोजगार

उन्होंने बताया कि नए बने नौ मेडिकल कॉलेजों में 70 प्रतिशत से अधिक फैकल्टी का चयन किया जा चुका है. 459 फैकल्टी के पदों के सापेक्ष 258 और सीनियर रेजिडेंट के 216 पदों के सापेक्ष 164 की भर्ती हो चुकी है. जॉइनिंग की प्रक्रिया चल रही है. इसी तरह 402 जूनियर रेजिडेंट रखे जा रहे हैं. हर मेडिकल कॉलेज में 460 पैरा मेडिकल स्टाफ और 225 नर्सें रखी जा रही हैं. यानि कुल 6,165 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है.

2022 में मिलेंगे 14 और जिलों को मेडिकल कॉलेज

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश के अमेठी, औरैया, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, गोंडा, कानपुर देहात, कौशांबी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और सुल्तानपुर जिले में 2022 तक मेडिकल कॉलेजों की सौगात मिलेगी. इनका निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा 16 शेष जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर ली गई है और सीएम योगी ने नीति का प्रजेंटेशन भी देख लिया है. आशा है कि जल्द नीति जारी कर दी जाएगी.

गोरखपुर में एम्स का लोकार्पण व आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी जल्द

उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 30 निजी मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं. भविष्य में इनमें और बढ़ोत्तरी की सम्भावना है. इसके अलावा रायबरेली और गोरखपुर में एम्स का संचालन हो रहा है. गोरखपुर एम्स में फिलहाल, ओपीडी सेवाएं शुरू हैं. जल्द ही यहां अन्य सेवाओं की भी शुरुआत होने वाली है. गोरखपुर में एम्स का लोकार्पण और आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी जल्द होने वाला है.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर लखनऊ में बनने वाले अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सुल्तानपुर रोड पर स्थित चक गंजरिया सिटी परियोजना में राज्य सरकार द्वारा 50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. इसका भवन करीब 200 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा. पहले चरण में प्रशासनिक भवन, ऑडिटोरियम, संग्रहालय, अतिथि गृह, आवास व अन्य निर्माण किए जाएंगे. चिकित्सा विश्वविद्यालय के तहत प्रदेश के करीब साठ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, करीब 300 नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल प्रशिक्षण संस्थान आएंगे.

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