देश में धार्मिक, नस्लीय, जातीय, भाषाई एवं यौन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर वर्ष देश भर में 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक दिवस मनाया जाता है. इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों के तहत विभिन्न समुदायों के सामने आने वाली तमाम सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक चुनौतियों एवं मुद्दों को समाज के सहयोग से सरकार द्वारा सतत दूर करना, एवं उनके प्रति सभी प्रकार के भेदभावों एवं वैमनस्यों को खत्म करना है. अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं, मूलतः कौन हैं अल्पसंख्यक एवं क्या है इस दिवस महत्व एवं इतिहास.
अल्पसंख्यक कौन हैं?
अल्पसंख्यकों की गणना करते समय ऐसे लोगों के समूह को परिभाषित किया जाता है, जो देश की संपूर्ण आबादी के आधे से भी कम होते हैं. वे सांस्कृतिक, जातीय या नस्लीय रूप से भिन्न समूह के लोग हैं, जो सभी के साथ सह-अस्तित्व में आवास करते हैं. जहां तक भारत की बात है तो यहां प्रत्येक 1 हजार में 193 लोग अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. इसमें प्रमुख हैं सिख, मुसलमान, ईसाई, पारसी, बौद्ध एवं साल 2014 में शामिल किये गये जैन समुदाय. इसमें मुसलमान भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है, जिसमें प्रत्येक 1000 में लगभग 142 लोग हैं, जबकि प्रत्येक 1000 में केवल 6 पारसी समुदाय है.
क्या है इस दिवस का महत्व?
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस देश दुनिया में जातीय, धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों पर घोषणाओं को याद करता है. सरकार इस दिन गैर-भेदभाव और समानता के उनके अधिकारों की गारंटी देने के प्रयासों को सुनिश्चित करती है. अल्पसंख्यक समाज की स्वतंत्रता और समान अवसरों के अधिकारों को कायम रखता है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और इसका प्रचार-प्रसार करना है. लोकतांत्रिक सरकार के एक महत्वपूर्ण घटक में देश में मौजूद अल्पसंख्यक समूहों के अधिकारों का सम्मान करना और उन्हें मान्य करना शामिल है.
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का इतिहास
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर चर्चा एवं गोष्ठियां काफी पहले से होती रही हैं, लेकिन आधिकारिक रूप से 1992 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस घोषित किया गया. संयुक्त राष्ट्र ने धार्मिक, भाषाई अथवा जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों की रक्षार्थ इस दिवस विशेष की उद्घोषणा की थी. संयुक्त राष्ट्र ने तभी स्पष्ट किया था कि इस दिवस के गठन का उद्देश्य देश में उपस्थित अल्पसंख्यकों के सुधार एवं उत्थान की जिम्मेदारी सरकार की है. इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Minorities Commission) विभिन्न प्रकार के आयोजनों की जिम्मेदारी निभाता है. केंद्र सरकार ने साल 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की थी.