इंफाल, 10 जुलाई: मणिपुर के इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिले के दो गांवों में हिंसक झड़पों में सोमवार को एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि तड़के तीन बजे से सुबह छह बजे के बीच कुछ देर के लिए स्थिति शांत रही, लेकिन उसके बाद दोनों जिलों की सीमा पर स्थित कांगचुक क्षेत्र के फेयेंग और सिंगदा गांवों से अंधाधुंध गोलीबारी की आवाज सुनी गई. Manipur Violence: जातीय हिंसा के मद्देनजर मणिपुर में बैंक ऋण की चुकौती में 12 महीने की राहत.
पूर्व में अधिकारियों ने कहा था कि हिंसा में एक पुलिसकर्मी की मौत हुई है, लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि मृतक एक आम व्यक्ति था, जिसके पास प्वाइंट 303 राइफल थी. समझा जाता है कि यह पुलिस शस्त्रागार से चुराई गई होगी.
अधिकारियों ने कहा, ‘‘गेलजांग इलाके में तलाश अभियान चलाया गया और मौके से प्वाइंट 303 राइफल के साथ एक शव बरामद किया गया.’’ उन्होंने बताया कि मृतक की पहचान सैखोम सुबन सिंह (26) के रूप में हुई, जो इंफाल पश्चिम जिले में झड़प स्थल से 25 किमी दूर स्थित गांव नाओरेमथोंग अचोम लीकाई का रहने वाला था.
घटना के बाद से इंफाल शहर में तनाव व्याप्त है, जिसके चलते दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं. प्रभावित क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. असम राइफल्स दोनों गांवों के बीच एक ‘बफर जोन’ की निगरानी करती है. अधिकारियों ने दोनों पक्षों के और अधिक लोगों के हताहत होने की आशंका से इनकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि गोलीबारी बंद होने के बाद ही स्थिति की सटीक जानकारी मिल पाएगी. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. इनमें अब तक कम से कम 150 लोगों की जान जा चुकी है.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय से है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.
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