Jharkhand: विडंबनाओं का प्रदेश है झारखंड, सीएम के जेल जाने से लेकर निर्दलीय के सीएम बनने तक के नायाब रिकॉर्ड
Hemant Soren Photo Credits: IANS

रांची, 11 फरवरी : झारखंड विडंबनाओं का प्रदेश बन गया है. देश की 40 फीसदी खनिज संपदा झारखंड में है, लेकिन नीति आयोग की इसी जनवरी में आई रिपोर्ट बताती है कि यह देश का दूसरा सबसे गरीब सूबा है. प्रदेश की 28.81 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी के दायरे में है. पिछले 23 सालों में यहां 12 मुख्यमंत्री आए-गए, लेकिन इसने गरीबी में सेकंड टॉप का “खिताब” टस से मस नहीं होने दिया.

सियासी सूचकांकों पर इस राज्य ने ऐसे नायाब रिकॉर्ड कायम किए हैं, जो पूरे देश में कहीं और नहीं मिलेंगे. हाल में इस फेहरिस्त में और एक और रिकॉर्ड तब जुड़ गया जब सीएम की कुर्सी पर रहते हुए हेमंत सोरेन को ईडी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया. किसी सीएम की गिरफ्तारी की देश में यह संभवतः पहली घटना है. यह भी पढ़ें : Farmers’ Delhi Chalo Protest: हरियाणा से लेकर दिल्ली तक हाई अलर्ट, बॉर्डर सील; किसानों को रोकने के लिए पुलिस का भारी इंतजाम

चंपई सोरेन के पहले राज्य में छह सीएम बने. इनमें से तीन शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन को अलग-अलग मामलों में जेल जाना पड़ा. यानी राज्य में सीएम-पूर्व सीएम की जेल यात्राओं का रिकॉर्ड फिफ्टी-फिफ्टी है. ऐसा इतिहास भी देश के किसी दूसरे प्रदेश में आज तक नहीं रचा गया.

15 दिसंबर 2000 को देश के नक्शे पर 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड में पिछले 23 सालों में राष्ट्रपति शासन को लेकर कुल 15 बार सरकारें बदलीं. यानी यहां सरकार की औसत आयु बमुश्किल डेढ़ साल रही है, जबकि झारखंड के साथ ही अस्तित्व में आए पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में इस अवधि में सिर्फ छह सरकारें बनी हैं.

झारखंड में अब तक मात्र रघुवर दास ऐसे सीएम रहे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. यहां की 82 सदस्यीय विधानसभा में आज तक किसी एक पार्टी ने अकेले अपने बूते बहुमत नहीं हासिल किया और न ही चुनावों के बाद कोई सरकार रिपीट हुई. यहां हमेशा गठबंधन की सरकारें रहीं.

झारखंड में सोरेन परिवार (शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन) के पास सरकार की कमान अब तक पांच दफा आई है और इनका सत्ता काल कुल मिलाकर तकरीबन छह साल पांच महीने का ही रहा. हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन तीन बार सीएम बने, लेकिन उनका कुल कार्यकाल तकरीबन साढ़े दस महीने का रहा. पहली बार वे मात्र 10 दिनों के लिए सीएम बने. दूसरी बार उन्होंने 27 अगस्त 2008 को सीएम पद की शपथ ली, लेकिन तमाड़ विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव हारने की वजह से उन्हें पांच महीने बाद 12 जनवरी 2009 को कुर्सी छोड़नी पड़ी. तीसरी बार वे भाजपा के समर्थन से 30 दिसंबर 2009 को फिर सीएम बने, लेकिन पांच महीने बाद ही भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और उन्हें 31 मई 2010 को इस्तीफा देना पड़ा.

शिबू सोरेन को 2006 में तब जेल जाना पड़ा था, जब दिल्ली की एक अदालत में 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या के मामले में शामिल होने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस केस में उन्हें बरी कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें इस केस में निर्दोष करार दिया.

अब शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन को रांची में साढ़े आठ एकड़ जमीन के घोटाले में बीते 31 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया. उन्होंने ईडी की हिरासत में राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था जाने से लेकर निर्दलीय के सीएम बनने तक के नायाब रिकॉर्ड" title="Jharkhand: विडंबनाओं का प्रदेश है झारखंड, सीएम के जेल जाने से लेकर निर्दलीय के सीएम बनने तक के नायाब रिकॉर्ड">

Hemant Soren Photo Credits: IANS