नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियों में एक और कीर्तिमान जुड़ने जा रहा है. दरअसल इसरो 16 सितंबर को ऐसी छलांग लगाने जा रहा है, जिससे वह अमेरिका और रूस को टक्कर देगा. इसके लिए सभी तैयारिया भी पूरी हो चुकी है. बस कुछ दिन बाद इसरो अपना रॉकेट विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए भेजेगा.
इसरो के मुताबिक 16 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जो रॉकेट छोड़ा जाएगा, उसमें कोई भी भारतीय उपग्रह नहीं होगा। इसमें दो ब्रिटिश उपग्रह होंगे. यह पूरी तरह से एक व्यावसायिक मिशन है. इसलिए इस मिशन के पूरा होने के साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जिसके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने या भेजने की अपनी तकनीक मौजूद है.
इस मिशन के लिए इसरो की वाणिज्यिक इकाई एन्ट्रिक्स कोर्पोरेशन लिमिटेड से इसके प्रक्षेपण का करार हुआ था. जिसके तहत ब्रिटेन के 2 उपग्रहों को इसरो अंतरिक्ष में भेजेगा. यह काम इसरो अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-42 से करीब 450 किलोग्राम वजन वाले दो ब्रिट्रिश उपग्रह- नोवासार और एस 1-4 को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा. इन उपग्रहों को ब्रिट्रिश की कंपनी सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) ने तैयार किया है.
इसरो 2022 तक मानव सहित रॉकेट अंतरिक्ष में भेजेगा
इसरो 2022 तक पहली बार किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है. इसरो के एक अधिकारी ने अंतरिक्ष एजेंसी के चेयरमैन के सिवन के बयान के हवाले से कहा था, "मानव अंतरिक्ष अभियान के लिए सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां विकसित की जा रही हैं. हम 2022 तक किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजेंगे."