प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए स्मार्ट स्क्रीनिंग है जरूरी: विशेषज्ञ
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Wikimedia Commons)

बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम भी बढ़ने लगता है. डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में तेजी आई है. प्रोस्टेट एक ऐसी ग्रंथि है जो पुरुषों की यूरीन नली के चारों ओर होती है और यह वीर्य में मौजूद एक द्रव पदार्थ का निर्माण करती है. विशेषज्ञों की मानें तो पुरुषों में तेजी से बढ़ते प्रोस्टेट की समस्याओं का पता शुरुआती दौर में चल सके इसके लिए टार्गेटेड या स्मार्ट स्क्रीनिंग की जानी चाहिए, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके.

विशेषज्ञ ने देश में प्रोस्टेट के बढ़ते मामले पर चिंता जाहिर करते हुए यह बताया कि प्रोस्टेट से जुड़ी समस्या को बेनिन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) और प्रोस्टेट कैंसर (पीसीए) कहा जाता है, जो भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसी के मद्देनजर विशेषज्ञों ने यह सुझाव भी दिया है कि भारत में प्रारंभिक चरण में प्रोस्टेट कैंसर की पहचान करने और समय पर उसका इलाज करने के लिए टार्गेटेड स्क्रीनिंग या स्मार्ट स्क्रीनिंग शुरू करने की आवश्यकता है.

दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग हॉस्पिटल में यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अनूप कुमार के मुताबिक, कई पुरुषों में बढ़ती उम्र  के साथ प्रोस्टेट की समस्या होती है. ऐसे में इस स्थिति से बचने के लिए पुरुषों को बढ़ती उम्र के साथ बीपीएच/ प्रोस्टेट कैंसर की जांच करने के लिए नियमित तौर पर प्रोस्टेट स्क्रीनिंग करवाना चाहिए.

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उनका कहना है कि अगर किसी को यूरीन संबंधी समस्या है तो अपनी इस समस्या के लिए डॉक्टर से सलहा लेनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रोस्टेट और यूरीन संबंधी समस्याओं से पीड़ित गरीबों को फायदा मिलेगा.