Farmers Protest: शंभू बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या की कोशिश, वापस बुलाया गया किसानों का जत्था, अब ये होगा अगला कदम
Farmer Protest | PTI

नई दिल्ली: शंभू बॉर्डर पर आज फिर संग्राम छिड़ गया. किसान शंभू बॉर्डर से दिल्ली जाने पर अड़े रहे. दिल्ली तक पैदल मार्च कर रहे किसानों को हरियाणा पुलिस ने रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. किसानों का आरोप है कि इस कार्रवाई में 17-18 किसान घायल हो गए. इसके साथ ही शंभू बॉर्डर पर एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की है. बताया जा रहा है कि किसान ने सल्फास निगल लिया. जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. किसान की पहचान खन्ना निवासी जोद सिंह के रूप में हुई है. पूरे हंगामे के बाद किसानों के जत्थे को वापस बुला लिया गया. किसानों का आरोप है कि पुलिस ने रॉकेट लॉन्चर से बम-गोलियां चलाई.

यह मार्च किसानों का दिल्ली तक पहुंचने का तीसरा प्रयास था. इससे पहले 6 और 8 दिसंबर को भी किसानों ने मार्च करने की कोशिश की थी, लेकिन हर बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया.

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किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि 16 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाले जाएंगे. 18 दिसंबर को पंजाब में 12 बजे से 3 बजे तक रेल रोको अभियान चलाया जाएगा. 18 तक कोई जत्था दिल्ली कूच नहीं करेगा. मार्च के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 12 गांवों में इंटरनेट बैन 18 दिसंबर तक बढ़ा दिया है.

क्या हुआ शंभु बॉर्डर पर?

पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर रबर की गोलियां चलाईं और केमिकल मिश्रित पानी का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, “भारत सरकार, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, किसानों पर ताकत का इस्तेमाल कर रही है. हमें आंसू गैस, बम और रबर की गोलियों से रोका गया. हमारे 17 किसान घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर है और उन्हें सही इलाज नहीं मिल रहा.”

किसान नेता मंजीत सिंह राय ने आरोप लगाया कि हरियाणा पुलिस ने अत्यधिक बल का उपयोग किया. किसानों ने फिलहाल अपना मार्च स्थगित कर दिया है. सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 16 दिसंबर को पंजाब में ट्रैक्टर मार्च होगा और 18 दिसंबर को 'रेल रोको' आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की है कि घायल किसानों का सही इलाज सुनिश्चित किया जाए.

किसानों की मांगें क्या हैं?

  • फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी.
  • किसानों और कृषि मजदूरों के लिए ऋण माफी और पेंशन.
  • बिजली दरों में वृद्धि न करने की मांग.
  • पुलिस केस वापस लेना.
  • 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय.

विपक्ष पर सवाल

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, “सिर्फ बयान देकर विपक्ष अपनी भूमिका से बच नहीं सकता. जैसे वे संसद में अन्य मुद्दों पर चर्चा रोक रहे हैं, वैसे ही किसानों के मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए. राहुल गांधी ने किसानों की आवाज उठाने का वादा किया था, लेकिन वह संसद में हमारा मुद्दा नहीं उठा रहे.”

पंधेर ने कहा, “जब संसद में संविधान के 75 साल पूरे होने पर बहस हो रही है, तब किसानों की आवाज कोई नहीं सुन रहा. 101 किसानों का जत्था देश की कानून व्यवस्था के लिए खतरा कैसे बन सकता है?”

किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा. यह आंदोलन एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच तनाव को उजागर कर रहा है. किसानों ने देशभर के लोगों और पंजाब के नागरिकों से ‘रेल रोको’ आंदोलन में शामिल होने की अपील की है.