Gyanvapi Masjid Case: इलाहाबाद HC ने ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर आठ सप्ताह में ASI से मांगा जवाब

प्रयागराज, 19 जनवरी: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह स्पष्ट करने के लिए बृहस्पतिवार को आठ सप्ताह का समय दिया कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद में पाई गए वस्तु (कथित शिवलिंग) की कार्बन डेटिंग से वह क्षतिग्रस्त हो सकता है या फिर उसकी कालावधि का अनुमान लगाने का सुरक्षित तरीका भी है. पत्नी अगर बच्चा पैदा ना कर सके, तो इसे आधार बनाकर तलाक नहीं मांगा जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 मार्च, 2023 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व एएसआई के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा था.

याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य लोगों ने वाराणसी की अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की. वाराणसी की अदालत ने 16 मई, 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण के दौरान पाए गए कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग 14 अक्टूबर के अपने आदेश में खारिज कर दी थी.

इससे पूर्व, 21 नवंबर, 2022 को एएसआई के वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष मौखिक रूप से बताया था कि एएसआई भी अपने विशेषज्ञों के साथ इस बात पर विचार विमर्श कर रहा है कि कथित शिवलिंग के काल का निर्धारण करने के लिए कौन सी पद्धति अपनाई जा सकती है.

इसके मद्देनजर उन्होंने एएसआई महानिदेशक का विचार पेश करने के लिए और तीन महीने का समय मांगा था.

उच्च न्यायालय ने इस मामले में चार नवंबर को एएसआई से जवाब मांगा था और एएसआई महानिदेशक को इस बारे में अपना विचार रखने का निर्देश दिया था कि यदि उस वस्तु का काल निर्धारण, कार्बन डेटिंग, ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर), उत्खनन और अन्य पद्धतियों से किया जाता है तो क्या उसकी प्रकृति और अन्य सूचना विकृत होने की आशंका है या फिर उसकी कालावधि के सुरक्षित निर्धारण का कोई अन्य तरीका है?

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