नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही यहां आचार संहिता लागू हो गई है. चुनाव आयोग ने यह ऐलान किया है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे. इस घोषणा के साथ ही इन पांच राज्यों में नेताओं समेत सरकारों पर कई तरह की पाबंदियां लागू हो गई हैं. बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विधानसभा चुनावों का काफी अहम माना जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव से पहले आचार संहिता क्यों लागू की जाती है और इसमें किस तरह की पाबंदियां सरकार, प्रशासन और नेताओं पर लगाई जाती हैं?
अब जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है तो चलिए हम आपको बताते हैं आचार संहिता का मतलब क्या होता है?
क्या है आदर्श आचार संहिता का अर्थ?
आदर्श आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का मतलब है चुनाव आयोग के वो दिशा-निर्देश, जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक चुनाव लड़ने वाली हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना अनिवार्य होता है. अगर कोई उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी चुनाव आयोग के इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. आयोग से उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और दोषी पाए जाने पर उम्मीदवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है. चुनाव आयोग द्वारा दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है. यह भी पढ़ें: राजस्थान, MP समेत 5 राज्यों में चुनाव की घोषणा,11 दिसंबर को आएंगे नतीजे..आज से आचार संहिता लागू
उम्मीदवारों और पार्टियों पर होती हैं ये बंदिशें
- आचार संहिता लागू होने के बाद उस राज्य के सीएम या मंत्री न तो कोई घोषणा कर सकते हैं और न ही किसी परियोजना का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन कर सकते हैं.
- आदर्श आचार संहिता लगने के बाद सरकारी खर्च से ऐसे किसी भी आयोजन पर पाबंदी होती है, जिससे किसी भी विशेष दल को लाभ पहुंचता हो.
- इस दौरान उम्मीद्वार और राजनीतिक पार्टी को रैली, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए पुलिस से इजाजत लेनी पड़ती है.
- कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल वोट बटोरने के लिए किसी जाति या धर्म आधारित अपील नहीं कर सकता, अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसे दंडित किया जा सकता है.
- आचार संहिता लगने के बाद मतदान केंद्रों पर गैर जरूरी भीड़ के एकत्रित होने पर पाबंदी होती है. इसके अलावा जिन्हें चुनाव आयोग ने इजाजत न दी हो वो मतदान केंद्र पर नहीं जा सकते.
- आचार संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग पर्यवेक्षक राजनीतिक दलों की हर हरकत पर पैनी नजर रखते हैं.
- इस दौरान सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल मंत्री नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा सरकारी बंगले का या सरकारी पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जा सकता.
- कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार कोई ऐसा काम न करे, जिससे किसी जाति, धर्म या समुदाय के लोगों के बीच मतभेद पैदा हो जाए.
- इस दौरान धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जा सकता है. अगर कई ऐसा करता है तो चुनाव आयोग उसे दंडित कर सकता है.
- वोट बैंक के लिए किसी को रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना जैसे भ्रष्ट आचरण करने वाले पर चुनाव आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है.
क्या है आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य?
- आदर्श आचार संहिता के जरिए चुनाव आयोग मतदाताओं को यह विश्वास दिलाता है चुनाव में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाती है.
- इसके जरिए चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी उद्देश्यों के लिए आधिकारिक मशीनरी का दुरुपयोग नहीं किया जाता है.
- इसका मुख्य उद्देश्य है वोटरों को रिश्वत देने, प्रलोभन, धमकी, चुनावी अपराध और भ्रष्ट प्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करना.