कोलकाता: देश के कई हिस्सों में नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के बीच सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को सार्वजनिक प्लेटफार्मों से सभी नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और एनआरसी विरोधी विज्ञापनों को हटाने का आदेश दिया है.
चीफ जस्टिस टीबीएन राधाकृष्णन (TBN Radhakrishnan) और जस्टिस राधाकृष्णन (Radhakrishnan) की बेंच ने राज्य सरकार को सीएए के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान को रोकने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामलें में अंतिम आदेश नहीं दिया जाता, तब तक सभी सीएए विरोधी अभियान स्थगित किए जाया. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने CM ममता बनर्जी पर साधा निशाना, कहा- उनको देश से माफी मांगनी चाहिए
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ताओं के दावे के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. दरअसल याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि ममता सरकार सीएए के खिलाफ अभियान के लिए जनता के पैसे का इस्तेमाल कर रही है. बेंच ने इस मामले की सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए टाल दी है.
Calcutta High Court directs West Bengal government to stop all government advertisements that say National Register of Citizens (NRC) and Citizenship Amendment Act (CAA) will not be implemented in the State. Next date of hearing is on January 9, 2020. pic.twitter.com/egLSxqmFfb
— ANI (@ANI) December 23, 2019
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार से संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद राज्य की कानून व्यवस्था की वर्तमान स्थिति तथा सरकारी संपत्तियों को पहुंचाये गये नुकसान का ब्योरा मांगा. इससे पहले राज्य सरकार ने अभियान चला रखा है कि संशोधित नागिरकता कानून को राज्य में लागू नहीं किया जाए जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उस पर स्थगन लगाने से इनकार कर दिया है.