VIDEO: राम मंदिर- कहानी आस्था और संघर्ष की, 500 साल का इंतजार खत्म, देखें इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक की यात्रा
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History of Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर का सफर आसान नहीं था. इसे लगभग 500 साल का संघर्ष करना पड़ा. यह संघर्ष धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक सभी स्तरों पर हुआ. श्री राम जन्मभूमि, अयोध्या में स्थित एक पवित्र स्थल है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, भगवान राम का जन्म इसी स्थान पर हुआ था. इस स्थान पर पहले एक भव्य मंदिर था, जिसे मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1528 में तोड़कर एक मस्जिद बनाई गई थी. इस मस्जिद को बाबरी मस्जिद कहा जाता है.

1949 में, कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की एक मूर्ति रख दी. इस घटना के बाद, इस स्थान पर हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद शुरू हो गया. 1986 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस स्थान के सर्वेक्षण का आदेश दिया. सर्वेक्षण में, यह पाया गया कि इस स्थान पर एक मंदिर के अवशेष मौजूद हैं.

6 दिसंबर, 1992 को, एक विशाल कारसेवा में बाबरी मस्जिद यानि विवादित ढांचे को गिरा दिया गया. इस घटना के बाद, भारत में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसमें कई लोगों की जान गई.

2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस स्थान के तीन हिस्सों में विभाजन का आदेश दिया. एक हिस्सा हिन्दुओं को, एक हिस्सा मुसलमानों को और एक हिस्सा सरकार को दिया गया.

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थान को हिन्दुओं को सौंपने का फैसला किया. इस फैसले के बाद, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है.

श्री राम जन्मभूमि का इतिहास

रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. उनका जन्म एक राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था. राम के जन्म के बाद, अयोध्या में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था. इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई थी. मध्यकाल में, अयोध्या पर मुगलों का अधिकार हो गया. मुगल सम्राट बाबर ने अयोध्या में एक मस्जिद बनाई. इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया.

बाबरी मस्जिद का इतिहास

बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 में मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर किया गया था. इस मस्जिद का निर्माण मीर बाकी नामक एक मुगल सेनापति ने किया था. बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद, इस स्थान पर हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद शुरू हो गया. हिन्दू समुदाय का मानना ​​था कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जिसे बाबर के आदेश पर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.