APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: मिसाल थे ‘मिसाइल मैन’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम! सपना देखने और उसे साकार करने के जुनून के लिए…
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Photo Credit- Twitter)

हिंदुस्तान में ‘मिसाइलमैन’ के नाम से विख्यात डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक बेहद साधारण मुस्लिम परिवार से थे. जमीन और जड़ से जुड़े रहकर उन्होंने ‘आम जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई. कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने देश की सर्वोच्च शख्सियत ‘महामहिम’ बनने के बाद राष्ट्रपति भवन के द्वार आम जनता के लिए खोलने का आदेश दिया था. बच्चों से असीम प्यार और स्नेह रखने वाले एपीजे अब्दुल कलाम (एवुल पाकिर जैनुलाबद्दीन अब्दुल कलाम) का संघर्षशील जीवन किसी भी आम भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत कहा जा सकता है. 15 अक्टूबर को देश उनका 88वां जन्मदिन मनायेगा.

अखबार बेचकर पिता की करते थे मदद.

देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक एवं ‘भारत रत्न’ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम् (तमिलनाडु) में एक गरीब तमिलियन मुस्लिम फैमिली में हुआ था. पिता जैनुलब्दीन स्थानीय मस्जिद में इमाम थे, और माँ आशियम्मा गृहिणी थीं. इनका पूरा नाम अबुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था. चार बड़े भाइयों और एक बहन में कलाम सबसे छोटे थे. आर्थिक रूप से कमजोर और मुस्लिम परिवार से होने के बावजूद पांचों बच्चों की समान रूप से परवरिश हुई. परिवार की परवरिश में कलाम भी पिता की मदद करते थे. घर-घर अखबार बेचने के बाद जो आय होती थी, वे पिता के हाथ में रख देते थे. 

यह भी पढ़े-जन्मदिन विशेष: मिसाइलमैन डॉ. अब्दुल कलाम जो युवाओं के लिए बने प्रेरणा, जानें उनके जीवन से जुड़ी 10 रोचक बातें

औसत छात्र मगर गणित से था विशेष प्यार

कलाम बचपन से ही बहुत मेहनती थे बच्चे थे. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा रामनाथपुरम स्थित 'श्वार्टज़ हायर सेकेंडरी स्कूल' से ग्रहण की. स्कूल में वे औसत छात्र थे, लेकिन हर चीज को ध्यान से देखने और सीखने की तीव्र इच्छा शक्ति उनमें हमेशा रही है. गणित से उन्हें विशेष प्यार था. एक इंटरव्यू में इसकी वजह बताते हुए उन्होंने जाहिर किया था कि उनके स्कूल के एक अध्यापक हर वर्ष पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाते थे. मगर इसके लिए उन्हें प्रातः छः बजे अध्यापक के घर जाना पड़ता था. गणित पढ़कर वापस आने के बाद कलाम आठ बजे तक रामेश्वरम् के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर अखबार बेचते थे. सन 1954 में तिरुचिरापल्ली स्थित सेंट जोसेफ कॉलेज (मद्रास युनिवर्सिटी संबद्ध) से कलाम ने भौतिक शास्त्री में ग्रेजुएशन पूरा किया. कॉलेज से निकलने के पश्चात वे एयर फोर्स में फाइटर प्लेन चलाना चाहते थे. उन्होंने भारतीय एयर फोर्स में अप्लाई भी किया मगर मेरिट लिस्ट में उनका नंबर नौवां था और रिक्त स्थान केवल आठ थे. हालांकि इससे वे टूटे नहीं. क्योंकि कुछ बनने, कुछ अलग कर गुजरने का जुनून और जोश उनमें हर पल रहता था.

चिड़ियों ने ‘उड़ान’ भरने की प्रेरणा जगाई.

कलाम अकसर अपने जीवन के अनुभव बच्चों के साथ शेयर करते थे. बतौर राष्ट्रपति एक बार वे मुंबई के एक स्कूल गये तो किसी बच्चे द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने बताया था, -उन दिनों मैं पांचवी कक्षा में था. मेरे एक अध्यापक ने जब सारे बच्चों से पूछा कि बताओ चिड़िया कैसे उड़ती है, किसी बच्चे द्वारा सही जवाब नहीं मिलने पर अध्यापक उन्हें करीब स्थित रामेश्वरम् तट पर ले गये. वहां उड़ते पक्षियों को दिखाया और पक्षियों की बनावट पर विस्तार से समझाते हुए बताया किस तरह उनके पंख उन्हें उड़ने में मदद करते हैं. मैंने अध्यापक की बात को गहराई से समझा और उसी दिन तय कर लिया था कि बड़ा होकर मैं भी पक्षियों की तरह उड़ान भरूंगा. 1960 में कलाम ने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की.

‘पृथ्वी’ व ‘अग्नि’ जैसी मिसाइलें देकर बनें मिसाइल मैन.

साल 1962 में अब्दुल कलाम की नियुक्ति इसरो में हुई. कलाम के ही निर्देशन में भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. साल 1980 रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना. कलाम यहीं नही रुके. दरअसल वे भारत को विश्व स्तर पर एक सुरक्षा कवच प्रदान करना चाहते थे ताकि विदेशी शक्तियां भारत की ओर आंख उठाकर देखने की भी जुर्रत न कर सके. उन्हीं के निर्देशन में देश का पहला स्वदेशी गाइडेड मिसाइल तैयार किया गया. उन्होंने भारतीय तकनीकों से ही ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ जैसी मिसाइलें तैयार विश्व के सामने जता दिया कि भारत में संभावनाओं की कमी नहीं है. आज अगर बड़े से बड़े देश भारत से खौफ खाते हैं, तो इसमें कलाम की भूमिकाओं को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.

पोखरण परीक्षण और ‘विजन 2020’

साल 1992 से 1999 तक अब्दुल कलाम रक्षामंत्री के रक्षा सलाहकार रहे. इसी दरम्यान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोखरण में एक के बाद एक पांच न्यूक्लियर टेस्ट किया. जिसमें कलाम की कमाल की भूमिका थी. भारत परमाणु हथियार सम्पन्न देशों की सूची में दर्ज हो चुका था. इसके बाद कलाम ने ‘विजन 2020’ नामक मिशन तैयार किया. दरअसल कलाम चाहते थे कि भारत साल 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक देश बन जाए.

इस महान वैज्ञानिक की योजना जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने की थी. इसके पश्चात जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइले, टैंकभेदी मिसाइले और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने की भी योजनाएं उनके जेहन में थीं. उन्हीं के दिशा निर्देशन में ही ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘आकाश’, ‘नाग’ जैसे खतरनाक मिसाइल बनाए गए.

अखबार बेचनेवाला बना देश का ‘महामहिम’

सन 2002 में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. देश के सर्वोच्च शिखर (राष्ट्रपति पद) पर आरूढ़ होने के बावजूद कलाम हमेशा जड़ और जमीन से जुड़े रहे. वह पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने आम लोगों के लिए भी राष्ट्रपति भवन के दरवाजे खुले रखने का आदेश दिया था.

हमेशा के लिए खामोश हुआ मिसाइलमैन

27 जुलाई 2015 को डॉ अब्दुल कलाम आईआईएम शिलांग (मेघालय) में एक व्याख्यान दे रहे थे, कि अचानक उन्हें दिल का खतरनाक दौरा पड़ा. उन्हें गंभीर अवस्था में बेथानी अस्पताल में ले जाया गया. लेकिन डॉक्टर्स के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. इस तरह देश की सुरक्षातंत्र को मजबूती प्रदान करनेवाला मिसाइलमैंन हमेशा के लिए खामोश हो गया.