Abdul Kalam’s Death Anniversary 2024: देश की इकलौती विभूति ‘मिसाइल मैन’, जिन्हें मिले सर्वाधिक प्रतिष्ठित अवार्ड! जानें उनके जीवन के कुछ प्रेरक फैक्ट!
APJ Abdul Kalam (Photo: @ddsportschannel)

भारत को सामरिक शक्ति में मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम दुनिया भर में ‘भारत का मिसाइल मैन’ के नाम से भी लोकप्रिय हैं. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और विशेष रूप से भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में डॉ. कलाम के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा करते हुए, उन्हें प्यार से 'आम लोगों का राष्ट्रपति' भी कहा जाता है. इस महान विभूति की नौवीं पुण्य-तिथि (27 जुलाई 2015) पर आइये उनके दृष्टिकोण और मूल्यों का स्मरण करते हुए, जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े अद्भुत प्रसंगों के बारे में...

जन्म एवं शिक्षा

कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था. पिता जैनुलाब्दीन मछुआरों को किराये पर नाव देते थे. परिवार में पांच भाई एवं पांच बहन थे. 5 वर्ष की आयु में एक प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा की शुरू की. एक बार उनके अध्यापक समुद्र तट पर पक्षियों के उड़ने के तरीके समझा रहे थे, तभी कलाम के मन में उड़ते पक्षियों के बीच विमान उड़ाने का विचार पैदा हुआ. पढ़ाई का खर्च निकालने हेतु वह सुबह अखबार वितरण करते, और शाम को ट्यूशन पढ़ाते थे. 1950 में मद्रास (अब चेन्नई) इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने हेतु भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया. 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े. उन्होंने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में योगदान देते हुए परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 का निर्माण किया, और 1982 में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया.

जली हुई रोटियां

एक बार कलाम बच्चों के सामने अपने बचपन का जिक्र कर रहे थे, एक दिन मां ने सब्जी-रोटी बनाकर पिताजी को परोसी. मैंने देखा रोटियां जल गई थी, लेकिन पिताजी ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किये बिना रोटी-सब्जी खाकर प्रसन्नता पूर्वक काम पर चले गये. मुझे लगा उन्होंने जली रोटियां देखी नहीं थी. शाम को लौटने उन्होंने पूछा, -कलाम आज स्कूल का दिन कैसा था, मैंने बात काटते हुए पूछा, -आपकी रोटियां जली थी, मगर आपने मां को कुछ बोला नहीं, आप जली रोटी कैसे खा सके. पिताजी ने जवाब दिया, -थोड़ी जली रोटी से हमारी सेहत नहीं बिगड़ती, लेकिन जले हुए शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं.

शुद्ध शाकाहारी

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत के पहले बैचलर राष्ट्रपति थे, जिन्होंने कभी शादी नहीं की. वह धर्म से सच्चे मुसलमान थे, नमाज पढ़ते रोजा रखते थे, लेकिन कभी भी मांस-मछली जैसे मांसाहारी पदार्थों का सेवन नहीं किया. वे शुद्ध शाकाहारी थे, और बच्चों एवं पशु-पक्षियों से अगाध प्रेम करते थे.

‘मिसाइल मैन’

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि दूसरे देश भारत का सम्मान तभी करेंगे. 1982 में कलाम को डीआरडीएल डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री (DRDL) का डायरेक्टर नियुक्त किया गया. कलाम ने तत्कालीन रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) का प्रस्ताव तैयार किया. इसके बाद उन्होंने भारत के लिए ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘आकाश’, ‘नाग’, ‘ब्रह्मोस’ समेत कई मिसाइल बनाई. वो कलाम ही थे जिनके डायरेक्शन में देश को पहली स्वदेशी मिसाइल मिली.

दुर्लभ योग्यता और पुरस्कार जो अन्य किसी भारतीय के खाते में नहीं!

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने 48 डॉक्टरेट की उपाधियाँ अर्जित की, यह उपाधि भारत और विदेश के 48 विश्वविद्यालयों में उन्हें प्राप्त हुई थी. कलाम देश के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें 1981 में ‘पद्म भूषण’, 1990 में ‘पद्म विभूषण’ और 1997 में भारत का सबसे प्रतिष्ठित ‘भारत-रत्न’ पुरस्कार दिया गया. इससे उनकी दुर्लभ शख्सियत का अंदाजा हो जाता है.

बच्चों के राष्ट्रपति

जवाहर लाल नेहरू को ‘चाचा नेहरू’ के रूप में क्यों प्रचारित किया गया, पता नहीं, लेकिन डॉक्टर कलाम बच्चों के आदर्श और रियल हीरो थे. उनके समय के कई बच्चे उन्हें युवा दिमागों को प्रेरित करने के लिए अपनी विज्ञान प्रदर्शनियों या स्पोर्ट्स दिवसों में उनकी उपस्थिति को हमेशा याद करते हैं. उनका ईमेल खाता सभी बच्चों के लिए हमेशा खुला रहता था, यही वजह है कि वह भारत के सबसे अधिक पहुंच वाले राष्ट्रपतियों में से एक थे.

निधन

साल 27 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक कार्यक्रम में लेक्चर दे रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा. वह बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दो घंटे बाद ही डॉक्टरों के दल ने 84 वर्षीय इस महान विभूति को मृत घोषित कर दिया.