चंडीगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में अमेज़न रीसेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली की एक कंपनी को अंतरराष्ट्रीय लक्जरी ब्रांड मार्क जैकॉब्स के नाम से स्थानीय रूप से निर्मित मोज़े बेचने के लिए 25 लाख का रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति राज शेखर अत्री और सदस्य राजेश के आर्य की पीठ ने अमेज़न को वीके निटिंग इंडस्ट्रीज, दिल्ली द्वारा निर्मित उत्पादों पर तुरंत ब्रांड नाम 'मार्क जैकॉब्स' प्रदर्शित करना बंद करने का आदेश दिया. इसने केंद्र सरकार से भी ऐसे गलत विज्ञापन के लिए अमेज़न के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
आयोग ने गलत उत्पाद की डिलीवरी के कारण हुए मानसिक पीड़ा और परेशानी के लिए ग्राहक को 2 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया. आयोग ने कहा कि अमेज़न अपनी वेबसाइट पर मार्क जैकॉब्स के उत्पादों को प्रदर्शित करके और फिर 4 साल से अधिक समय तक स्थानीय ब्रांड 'मार्क' के उत्पादों को डिलीवर करके "जानबूझकर और निर्भीकता से" "डार्क पैटर्न" में लगी हुई थी.
Why Consumer Forum imposed ₹25 lakh fine on Amazon
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— Bar & Bench (@barandbench) March 13, 2024
कमीशन ने कहा कि ईमेल संचार के बावजूद, अमेज़न ने बिना किसी स्वीकार्य कारण के 'मार्क जैकॉब्स' प्रदर्शित करना जारी रखा. जज ने कहा " ऐसा करके, अमेज़न ने अनुचित लाभ कमाया है.'
यह फैसला चंडीगढ़ निवासी जतिन बंसल (शिकायतकर्ता) की शिकायत पर आया था, जिसने पिछले साल अमेज़न पर रियायती मूल्य ₹279.30 में 'मार्क जैकॉब्स' के मोज़े खरीदे थे. हालांकि, जब उन्हें 'मार्क' के मोज़े मिले तो वह चौंक गए और इससे पता चला कि उत्पाद का निर्माण वीके निटिंग इंडस्ट्रीज, दिल्ली द्वारा किया गया था.
हालांकि बंसल ने उत्पाद को वापस करने का प्रयास किया था, लेकिन ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था. उनके वापसी के अनुरोध को भी स्वीकार नहीं किया गया, जिससे उन्हें उपभोक्ता अदालत का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अमेज़न 45 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर शिकायत का जवाब देने में विफल रहा और इस तरह उसका बचाव खारिज कर दिया गया. निर्माता ने आयोग को बताया कि यह त्रुटि अमेज़न द्वारा की गई थी और सुधार के लिए ईमेल के बावजूद, ई-कॉमर्स साइट ऐसा करने में विफल रही.
बहस के दौरान, आयोग को अमेज़न की वेबसाइट दिखाई गई ताकि यह साबित किया जा सके कि दिल्ली की कंपनी द्वारा निर्मित मोज़े अभी भी 'मार्क जैकॉब्स' ब्रांड नाम के तहत बेचे जा रहे हैं. इस प्रकार, आयोग ने पाया कि अमेज़न स्पष्ट रूप से इस तरह के धोखे में लगा हुआ था. आयोग ने ई-कॉमर्स दिग्गज के इस कृत्य को निराशाजनक बताया.