केरल में Monkeypox का तीसरा मामला आया सामने, स्वास्थ्य मंत्री ने की पुष्टि
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तिरुवनंतपुरम: देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का खतरा बढ़ रहा है. केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा मामला सामने आया है. जुलाई की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटे 35 वर्षीय युवक में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि मलप्पुरम का रहने वाला युवक छह जुलाई को अपने गृह राज्य लौटा था और उसका तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. Monkeypox Case: अगस्त तक वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के मामले बढ़कर एक लाख हो सकते हैं- अमेरिकी विशेषज्ञ.

जॉर्ज के मुताबिक, युवक की हालत स्थिर है. उन्होंने बताया कि संक्रमित के संपर्क में रहे लोगों पर करीबी नजर रखी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि 6 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात से मल्लापुरम लौटे 35 वर्षीय व्यक्ति में देश के तीसरे मंकीपॉक्स के मामले की पुष्टि हुई. संक्रमित व्यक्ति को 13 तारीख को मंजेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बुखार के साथ भर्ती कराया गया था और 15 तारीख से उनमें लक्षण दिखने लगे. उनका परिवार और करीबी निगरानी में हैं.

राज्य सरकार ने जारी की SOP 

इससे पहले राज्य सरकार ने बुधवार को संक्रमित लोगों या जिनमें इसके लक्षण नजर आ रहे हैं उनके पृथक रहने, नमूने एकत्रित करने और उपचार के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने एक प्रेस विज्ञप्ति में एसओपी का विवरण दिया, जिसका पालन सभी निजी तथा सरकारी अस्पतालों को करना होगा.

SOP के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसने पिछले 21 दिनों में उस देश की यात्रा की है, जहां मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. उनके शरीर पर अगर लाल धब्बे दिखें या उनमें सिरदर्द, शरीर में दर्द या बुखार जैसे अन्य लक्षण हों तो वे संदिग्ध वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि निकट शारीरिक या सीधे त्वचा के त्वचा से संपर्क, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने या उनके बिस्तर या कपड़ों को छूने से संक्रमण फैलने का खतरा है. इस श्रेणी में आने वाले सभी लोगों को रोगी का निकट संपर्क माना जाएगा. पीसीआर जांच के जरिए ही संक्रमण की पुष्टि हो सकती है.

केंद्र सरकार हुई अलर्ट 

केंद्र सरकार भी मंकीपॉक्स के खतरे को लेकर सतर्क हो गई है और एयरपोर्ट पर दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. जरूरत पड़ने पर संदिग्ध लोगों के सैंपल लेकर पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में टेस्ट करने के लिए भेजे जा रहे हैं.