Hajj 2025 Dates: ‘हज’ यात्रा का क्या नियम है? जानें हज यात्रा की तिथियां, बलिदान और महत्व!

Hajj 2025 Dates:  सऊदी अरब के अनुसार इस वर्ष 4 जून 2025 को अर्धचंद्राकार चंद्रमा दिखने के बाद हज यात्रा शुरू होगी, जो वस्तुतः 28 मई को इस्लामी कैलेंडर के बारहवें धुल हिज्जा या जिल-हिज के पहले दिन को चिह्नित करता है. सऊदी हज मंत्री तौफीक अल-रबिया ने कहा है कि दुनिया भर से दस लाख से अधिक तीर्थ यात्री इस वर्ष हज के लिए आ चुके हैं. पिछले साल लगभग 1.8 मिलियन यात्रियों ने हज यात्रा पर आये थे.

 जहां तक भारत की बात है केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय भारत की हज समिति के माध्यम से आवंटित कोटे के बड़े हिस्से की व्यवस्था हज यात्रियों के लिए करता है, जो साल 2025 में एक लाख 22 हजार 518 है. कोटे का शेष (50 हजार से अधिक तीर्थयात्री) निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किया गया था.

हज कब है?

  हज इस्लाम के पांच मुख्य स्तंभों में एक है, इस्लामिक अनुयायियों के अनुसार हज यात्रा उन सभी मुसलमानों को एक बार अवश्य करना चाहिए, जो अपने देश से सऊदी अरब की यात्रा का खर्च वहन कर सकते हैं. बता दें कि हज मक्का की वार्षिक तीर्थयात्रा हैजो सऊदी अरब में इस्लाम का सबसे पवित्र शहर है. यहां इस्लाम का सर्वाधिक पवित्र स्थल काबा स्थित है. हज यात्रा एक विशेष अवधि के दौरान की जाती है, जिसका समापन ईद-उल-अधा के साथ होता है. बहुत सारे तीर्थयात्री इस्लाम के दूसरे सबसे पवित्र स्थल मदीना शहर भी जाते हैं, जहां पैगंबर मुहम्मद साहब का मकबरा है. हालाँकि यह हज का आधिकारिक हिस्सा नहीं हैलेकिन मदीना जाना कई धर्मनिष्ठ मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव कहा जा सकता है.

कब शुरू होती है वार्षिक हज यात्रा

हज यात्रा हर साल ज़िल-हज के आठवें और 13वें दिन के बीच आयोजित की जाती हैजो इस्लामी चंद्र कैलेंडर का 12वां और अंतिम महीना होता है. इस साल 2025 की ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सऊदी अरब में हज यात्रा 4 जून 2025 से 9 जून 2025 तक होंगी. हज यात्री यहां सभी चार दिवसीय समारोहों में हिस्सा लेते हैंजिसमें दूसरे दिन माउंट अराफात पर सामूहिक प्रार्थना सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. माउंट अराफात वह पहाड़ी स्थल है, जहां पैगंबर मुहम्मद ने अपना अंतिम उपदेश दिया था.

इस साल ईद अल-अधा कब है?

  इस सालअराफात का दिन 5 जून को पड़ेगाउसके बाद 6 जून को सऊदी अरब में ईद अल-अधा होगी. भारत मेंचंद्र कैलेंडर आमतौर पर सऊदी कैलेंडर के एक दिन बाद होता है. भारत मेंईद अल-अधा जिल-हज के 10वें दिन पड़ता है, यानी यहां 7 जूनशनिवार को है. भारत से तीर्थयात्रियों ने अप्रैल के अंत में ही सऊदी अरब के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी थी.

ईद-उल-अज़हा हज’, जिसे 'बलिदान का पर्वभी कहते हैं

  ईद-उल-अजहा मुसलमानों द्वारा बनाई जाने वाली दो ईदों में से एक है. यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है और इसे बलिदान का पर्व भी कहा जाता है. आमतौर पर ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा के बीच 70 दिनों का अंतर होता है।

कुर्बानी का पर्व

कुर्बानी (कुर्बानी) की मुख्य रस्म पैगंबर इब्राहिम के बेटे इस्माइल को भगवान के प्रति अपनी आज्ञाकारिता की परीक्षा के रूप में बलिदान करने की इच्छा को याद करती है. जैसा कि कुरान (सूरह अस-सफ्फातआयत 99-113) में उल्लेख है कि, पैगंबर इब्राहिम को अपने प्यारे बेटे इस्माइल को अपने विश्वास की परीक्षा के रूप में बलिदान के लिए सपने में एक दिव्य आदेश मिला. जैसे ही इब्राहिम बलिदान के लिए तैयार हुएअल्लाह ने हस्तक्षेप किया और इसके बजाय बलिदान के लिए एक मेमने का प्रावधान किया गयाजो इब्राहिम की भक्ति और अल्लाह की इच्छा के प्रति समर्पण को दर्शाता है.