VIDEO: अपने किडनैपर से अलग नहीं होना चाहता 2 साल का बच्चा, आरोपी से लिपटकर रोया मासूम, 14 महीने पहले हुआ था अपहरण

जयपुर में एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 2 साल का बच्चा अपने अपहरणकर्ता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. इस भावुक दृश्य को देखकर अपहरणकर्ता की आंखों से भी आंसू बहने लगे. 14 महीने पहले तनुज ने बच्चे का अपहरण कर लिया था.

घटना का विवरण

जयपुर के सांगानेर सदर थाना क्षेत्र में 14 महीने पहले एक 11 महीने के बच्चे पृथ्वी का अपहरण हुआ था. पुलिस ने हाल ही में इस केस को सुलझाया और अपहरणकर्ता को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान तानुज चाहर के रूप में हुई है, जो एक पूर्व पुलिसकर्मी और बच्चे की मां का रिश्तेदार था.

तानुज चाहर ने एक साधू का भेष धारण किया हुआ था और वृंदावन में यमुनापार के खदर क्षेत्र में एक झोपड़ी में रह रहा था. उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए दाढ़ी और लंबे बाल रखे थे. तानुज यूपी के आगरा का निवासी है और अलigarh में रिज़र्व पुलिस लाइन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात था, लेकिन वह वर्तमान में निलंबित था.

बच्चे का अपहरणकर्ता से लगाव

जब पुलिस ने तानुज को गिरफ्तार किया और बच्चे को छुड़ाया, तो बच्चे ने अपने अपहरणकर्ता को छोड़ने से इनकार कर दिया. वह लगातार रोते हुए अपहरणकर्ता के पास चिपका रहा. यह दृश्य देखकर तानुज की आँखों से भी आँसू बहने लगे. पुलिस ने जब बच्चे को तानुज से अलग किया और उसकी माँ के हवाले किया, तब भी बच्चा लगातार रोता रहा.

तानुज की चालाकी

तानुज ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कभी दाढ़ी बढ़ाई तो कभी उसे रंग दिया. वह पुलिस की कार्रवाइयों से वाकिफ था, इसलिए उसने अपने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं किया और लगातार अपने ठिकाने बदलते रहा.

पुलिस की कार्रवाई

22 अगस्त को एक विशेष टीम ने तानुज को पकड़ने के लिए मथुरा, आगरा और अलigarh का दौरा किया. पुलिस को सूचना मिली थी कि तानुज दाढ़ी के साथ साधू का भेष बनाकर वृंदावन में यमुनापार के खदर क्षेत्र में रह रहा है. पुलिस ने साधू के भेष में रहकर और भजन गाकर उसकी खोज की. 27 अगस्त को तानुज ने अलigarh में अपने ठिकाने पर होने की जानकारी दी. जब पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए छापा मारा, तो उसने बच्चा उठाकर खेतों में भागने की कोशिश की. पुलिस ने 8 किलोमीटर की दौड़ के बाद उसे गिरफ्तार किया.

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि अपराधी कितने भी चालाक क्यों न हों, कानून की पहुंच हमेशा उन तक पहुँचती है. इस तरह के मामलों में पुलिस की सतर्कता और तत्परता बहुत महत्वपूर्ण होती है, जिससे न केवल अपराधी को सजा मिलती है बल्कि अपहृत बच्चों को भी सुरक्षित उनके परिवारों के पास लौटाया जा सकता है.