Fanney Khan Review: अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी ये ‘टिपिकल' बॉलीवुड फिल्म
फन्ने खान फिल्म पोस्टर (Photo Credits: Instagram)

कास्ट: अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन, राजकुमार राव, दिया दत्ता, पीहू संद और सतीश कौशिक

निर्देशक: अतुल मांजरेकर

रेटिंग्स: 3.5 स्टार्स

फन्ने खान फिल्म रेटिंग्स (Photo Credits: File Photo)

अतुल मांजरेकर निर्देशित फिल्म ‘फन्ने खान’ आज दर्शकों के सामने पेश हो गई है. इस फिल्म को लेकर फैंस में काफी उत्साह है और इसलिए हम खास आपके लिए इस फिल्म का रिव्यू लेकर आए हैं. फिल्म में बताया गया है कि किस तरह से अनिल कपूर अपना सपना पूरा न होने पर अपनी बेटी से उस सपने को पूरा करने की उम्मीद लगाए रहते हैं. इस काम में अपनी बेटी को सफल बनाने में और उन्हें प्रेरित करने में वो कोई कसर नहीं छोड़ते हैं और उन्हें कामयाब भी बनाते हैं. ये फिल्म आपको जितना हंसाएगी उतना ही आपके दिल को भी छू लेगी. फिल्म में दिखाई गई ड्रामा और कॉमेडी आपको अंत तक इंटरटेन करेगी.

कहानी: फिल्म में अनिल कपूर एक ऑर्केस्ट्रा सिंगर की भूमिका में हैं. एक ऐसा सिंगर जिसके लिए मोहम्मद रफी और किशोर कुमार उनके आदर्श हैं. अपने इलाके में वो ‘फन्ने खान’ के नाम से मशहूर हैं और इसी से फिल्म का टाइटल भी रखा गया है. क्योंकि फिल्म की कहानी भी इसी फन्ने खान और उसके सपनों के इर्द गिर्द घूमती है. लता शर्मा का किरदार निभा रहीं पीहू संद को अपने मोटापे के चलते सिंगर बनने के अपने सफर में भी कई मुश्किलें आती हैं. लेकिन अनिल यानी की 'फन्ने खान' हार नहीं मानते हैं और अपनी बेटी को सिंगर बनाने के लिए कड़ी जद्दोजहद करते हैं. एक तरफ जहां अनिल मोहम्मद रफी जैसे संगीतकारों को अपना आदर्श मानते हैं वहीं उनकी बेटी पीहू संद उर्फ लता शर्मा बेबी सिंह जैसी आज के दौर की सिंगर को अपना आअदर्श मानती हैं. यही पर अनिल और उनकी बेटी में मतभेद भी होता है. फिल्म में दिव्या दत्ता एक हाउसवाइफ की भूमिका निभा रही हैं. अनिल कपूर की पत्नी और पीहू की मां के रोल में वो उन दोनों के सुख-दुख में उनका साथ दे रही हैं. यहां राजकुमार राव एक फैक्ट्री में काम करने वाले अनिल के साथ उनके जिगरी दोस्त की भूमिका में हैं. फिल्म में ऐश्वर्या राय एक मशहूर सिंगर और परफॉर्मर की भूमिका में हैं. उनके किरदार का नाम बेबी सिंह है.

अभिनय: क्योंकि ये कहानी ‘फन्ने खान’ की है, इसलिए अनिल कपूर यहां पूरी फिल्म में आपको हर जगह एंटरटेन करते दिखाई देंगे. उनका किरदार उत्साह और भावनाओं से भरा हुआ है. फिल्म में उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. राजकुमार राव का काम भी फिल्म में आपको नाराज नहीं करेगा बल्कि उनके कुछ मस्तीभरे सीन्स आपको खूब गुदगुदाएंगे. एक पत्नी और मां की भूमिका में दिव्या दत्ता के भीतर आपको प्रेरणा और ममता जैसे दोनों ही गुण दिखाई देंगे. फिल्म में सपोर्टिंग रोल में उनका किरदार काफी अहम है. अब बात करें ऐश्वर्या राय बच्चन की तो हमेशा की तरह इस फिल्म फिल्म में भी वो अपनी खूबसूरती और अदाओं से आपका दिल जीत लेंगी.

निर्देशन: फिल्म का निर्देशन खूबसूरती से किया गया है. क्योंकि ये एक सामन्य व्यक्ति की कहानी है इसलिए इसके ज्यादातर सीन्स को मुंबई के एक टिपिकल चॉल में शूट किया गया है. इसके लोकेशन्स इसकी कहानी से साथ फिट बैठते हैं. फिल्म की कहानी भी मनोरंजक तरीके से आगे बढ़ती है और मेकर्स ने फिल्म में कुछ ट्विस्ट्स भी जोड़े हैं जो आपको इस फिल्म को आगे देखने के लिए उत्सुक भी करेगी. अतुल मांजरेकर ने 'फन्ने खान' की इस कहानी को पेश करने की काफी बढ़िया कोशिश की है.

म्यूजिक: इस म्यूजिकल फिल्म के गाने न सिर्फ बढ़िया हैं बल्कि ये आपको सोचने पर भी मजबूर कर देंगे. इसके सॉन्स ‘मेरे अच्छे दिन कब आएंगे’ जहां अधूरे सपनों के पूरा होने के इंतजार की घड़ी को दर्शाते हैं वहीं इसका गाना ‘मेरे जैसी मैं हूं’ एक अच्छा संदेश भी देती है. फिल्म में सोनू निगम की आवाज इसे और भी मधुर बनाती है. मोहम्मद रफी को गाने के लिए हमेशा से पॉपुलर रहे सोनू ने न सिर्फ ‘बदन पे सितारें’ सॉन्ग को खूबसूरती से गाया है बल्कि फिल्म में मेकर्स ने सिंगिंग के मामले में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का भी इस्तेमाल भरपूर किया है.

फिल्म की खूबियां: इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये एक प्रेरणात्मक कहानी है. फिल्म में अधूरे सपने को पूरा करने के लिए मोटिवेशन तो आपको मिलेगा ही. साथ ही, बॉडी शेमिंग जैसे विषय को भी फिल्म की कहानी में बड़े ही समझदारी के साथ ढालकर दर्शकों के सामने पेश किया गया है.

फिल्म की खामियां: फिल्म के पहले हिस्से की कहानी धीमी गति से आगे बढ़ती है वहीं इंटरवल के बाद फिल्म में कई सारे ट्विस्ट्स जोड़े गए हैं. ये ट्विस्ट्स फिल्म की कहानी में ड्रामा एड करते हैं और यही पर एक दर्शक के रूप में इसकी कहानी से आपकी उम्मीदें बढ़ जाती है हैं. लेकिन अंत में मेकर्स ने इसे एक टिपिकल बॉलीवुड फिल्म की तरह आसानी से हैप्पी एंडिंग के साथ अंत कर दिया है. यहां आपकी उम्मीदों पर मेकर्स ने पानी फेर दिया है. दर्शकों को फिल्म की कहानी में अंत तक लीन करने के बाद ये बड़े ही साधारण ढंग से अंत तक पहुंचा दी जाती है.

ओवरऑल बात करें तो इस फिल्म को लेकर हम बार-बार यही कहेंगे कि ये फिल्म आपको एंटरटेन, मोटीवेट और भावुक करेगी. फिल्म की कहानी की बात करें तो इसे लेकर और भी बेहतर काम किया जा सकता था. ये एक टिपिकल बॉलीवुड फिल्म है जिसे निर्देशक अतुल मांजरेकर ने बेहतर तरीके से पेश किया है.