टोक्यो में 1964 में तनावपूर्ण फाइनल में जब पाकिस्तान को हराया था भारतीय हॉकी टीम ने
भारतीय हॉकी टीम (Photo Credits: Hockey India Twitter)

नयी दिल्ली, 25 जून: भारत और पाकिस्तान के बीच खेल के मैदान पर यूं तो हर मुकाबला तनावपूर्ण होता है लेकिन बात ओलंपिक की हो और दाव पर स्वर्ण पदक हो तो तनाव का आलम की कुछ और रहा होगा. तोक्यो में 1964 में दोनों हॉकी टीमें फाइनल में आमने सामने थी और तनाव इतना कि अंपायरों को दखल देना पड़ा. रोम में चार साल पहले फाइनल हारने वाली भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 1 . 0 से हराकर तोक्यो ओलंपिक 1964 में पीला तमगा जीता था. मोहिंदर लाल ने भारत के लिये विजयी गोल दागा था और गोलकीपर शंकर लक्ष्मण ने पाकिस्तान के हर जवाबी हमले को दीवार की तरह रोका.

तोक्यो 1964 में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह ने कहा,‘‘आस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल और पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल काफी कठिन थे. फाइनल में तो तनाव इतना हो गया था कि अंपायरों को दखल देना पड़ा.’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपने खिलाड़ियों से कहा कि उनसे बात करके समय बर्बाद करने की बजाय अपने खेल पर ध्यान दो. चुनौती कड़ी थी लेकिन हमने सब्रे के साथ बेहतरीन प्रदर्शन करके एक गोल से मैच जीत लिया.’’

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रोम ओलंपिक 1960 में चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके सेंटर हाफ बैक चरणजीत ने कहा,‘‘तोक्यो में हमने वह कसर पूरी कर दी. वहां से लौटने के बाद हवाई अड्डे पर हुआ भव्य स्वागत आज भी याद है. हम सभी के लिये वह यादगार पल था.’’ओलंपिक में हाकी में भारत का वह सातवां स्वर्ण पदक था. भारतीय टीम लीग चरण में शीर्ष पर रही और सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया को 3 . 1 से हराया. पाकिस्तान के खिलाफ लगातार तीसरा ओलंपिक फाइनल था और तोक्यो में जीत भारत के नाम रही.

अब उसी शहर में फिर ओलंपिक होने जा रहे हैं और 90 वर्ष के चरणजीत ने भारतीय महिला और पुरूष दोनों टीमों को शुभकामना देते हुए इतिहास दोहराने का आग्रह किया है. हॉकी इंडिया की एक विज्ञप्ति में उन्होंने कहा,‘‘मैं हमारी दोनों टीमों को तोक्यो ओलंपिक के लिये शुभकामना देता हूं. ओलंपिक में पदक जीतना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे देश में हॉकी को नयी उम्मीद मिलेगी. उम्मीद है कि 1964 की तरह वे पदक लेकर लौटेंगे.’’

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