लखनऊ, दो सितंबर उत्तर प्रदेश के वाराणसी, बलिया समेत कई जिलों में अब बाढ़ का पानी कम होने लगा है और संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि राहत और बचाव के लिए पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार वाराणसी में अब गंगा और वरुणा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है और दोनों नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का पानी अब कम होने लगा है।
वाराणसी में गंगा के जलस्तर में कमी आने के बाद संबंधित क्षेत्रों से पानी कम होना शुरू हो गया है। वरुणा पार के भी कई रिहायशी इलाकों से पानी निकल गया है, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है, परंतु इसके साथ ही बाढ़ के पानी के साथ आये गाद और गंदगी की सफाई और उससे फैलने वाली संक्रामक बीमारियों से लोगों में भय व्याप्त है।
वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉक्टर संदीप चौधरी ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में जगह-जगह कीचड़ और जल जमाव से संक्रामक रोग न फैले इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है।
सीएमओ ने बताया कि संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कार्रवाई तेज कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि जल जमाव वाले स्थानों पर मच्छरजनित बीमारी डेंगू, मलेरिया आदि के फैलने की आशंका अधिक होती है लिहाजा बाढ़ से प्रभावित रहे सभी क्षेत्रों में एंटी लार्वा का छिड़काव करने के साथ ही नगर निगम के सहयोग से फॉगिंग भी करायी जा रही है।
जिला मलेरिया अधिकारी एस सी पाण्डेय ने बताया कि एंटी लार्वा के छिड़काव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डूडा से 15 कर्मियों को मांगा है, जो विभिन्न इलाकों में एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहे हैं।
प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार बलिया जिले में गंगा नदी के जलस्तर में गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है।
बलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जयंत कुमार ने शुक्रवार को 'पीटीआई-' को बताया कि गंगा नदी के जलस्तर में गिरावट के बाद जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है।
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