![जरुरी जानकारी | घरेलू बैंकों के कारोबारी मॉडल पर है रिजर्व बैंक की नजर : शक्तिकांत दास जरुरी जानकारी | घरेलू बैंकों के कारोबारी मॉडल पर है रिजर्व बैंक की नजर : शक्तिकांत दास](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2020/04/default_03-380x214.jpg)
मुंबई, 27 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय बैंक घरेलू ऋणदाताओं के ‘कारोबार के मॉडल’ पर नजदीकी नजर रखे हुए है क्योंकि खराब रणनीतियों से एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
दास ने अमेरिका में हाल की घटनाओं के लिए खराब कारोबारी मॉडल को भी एक वजह बताते हुए कहा कि भारत की बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है और वैश्विक घटनाक्रमों का इसपर खास प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
उनका यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है। इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है।
दास ने कहा कि अमेरिका के हाल के घटनाक्रमों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या व्यक्तिगत बैंकों का कारोबारी मॉडल सही था।
रिजर्व बैंक प्रवर्तित ‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’ द्वारा वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘‘भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इसपर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ने अब बैंकों के कारोबारी मॉडल पर नजदीकी निगाह रखनी शुरू की है। इनमें किसी तरह की खामी से संकट पैदा हो सकता है।’’
दास ने कहा कि कारोबारी मॉडल कई बार बैंक के बही-खाते के कुछ हिस्सों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, जो बाद में एक बड़ा संकट बन सकता है।
दास ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अत्यंत संकट वाली स्थिति में भी भारतीय बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात को न्यूनतम जरूरत से ऊपर रखने में सफल रहेंगे।’’
उन्होंने बैंकों के प्रबंधन और निदेशक मंडल से नियमित रूप से वित्तीय जोखिम का आकलन करें और पर्याप्त पूंजी और तरलता ‘बफर’ बनाने पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि बैंकों की लगातार मजबूती और सतत वृद्धि के लिए यह न्यूनतम नियामकीय जरूरत से अधिक होना चाहिए।
गवर्नर ने अंशधारकों को सतर्क करते हुए कहा कि दुनियाभर में परंपरा से हटकर नीतियां अपनाई जा रही हैं। ऐसे में वित्तीय क्षेत्र में किसी तरह का ‘आश्चर्य’ कहीं से भी देखने को मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक भविष्य के लिए भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने और इसकी सतत वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैकों ने हाल के समय में दबाव और पूंजी बफर के मोर्चे पर सुधार दर्ज किया है। बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां अनुपात दिसंबर, 2022 में घटकर 4.41 प्रतिशत रह गया है, जो मार्च, 2022 में 5.8 प्रतिशत और 31 मार्च, 2021 को 7.3 प्रतिशत था।
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