मुस्लिम (Muslim) समुदाय के लिए रमज़ान वो महीना होता है जिसमें वह आत्म अवलोकन करते हैं और गुनाहों की माफी मांगते हैं. साथ में इस पाक (Pakistan) महीने में लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और इफ्तार दावतों का आयोजन करते हैं. पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं. वे शाम में परिवार और प्रियजनों के साथ रोज़ा इफ्तार करते हैं. ईद का चांद दिखने के साथ यह पाक महीना खत्म हो जाता है.
हालांकि, इस साल तेजी से फैल रही कोरोना वायरस महामारी ने रमजान के उत्साह को फीका कर दिया है. मध्य एशिया के सऊदी अरब, लेबनान, लीबिया, इराक और यमन में लाखों लोग अपने घरों में कैद होंगे. हर साल रमज़ान के महीने में मस्जिदें खचा-खच भरी होती थीं, लेकिन इस साल महामारी की वजह से मस्जिद में जमात (सामूहिक) नमाज़ और तरावीह (रमज़ान में रात में पढ़े जाने वाली विशेष नमाज़) पर रोक लगा दी गई है.
सऊदी अरब के मुफ्ती-ए-आजम अब्दुल अज़ीज़-अल-शेख जैसे कई देशों के उलेमा ने रमजान में और ईद की नमाज घर में ही पढ़ने के आदेश दिए हैं. मक्का की मस्जिद अल हराम (खाना-ए-काबा) में मुअज़्ज़िन अली मुल्ला ने कहा, "हमारे दिल रो रहे हैं. हम देखते थे कि यह मुकद्दस मस्जिद दिन, रात हर वक्त लोगों से भरी होती थी..." मुअज़्ज़िन मस्जिद में अज़ान देते हैं.
रमज़ान को उमरा (धार्मिक यात्रा) के लिए मुबारक माना जाता है लेकिन पिछले महीने सऊदी अरब ने इसे स्थगित कर दिया है. येरुशलम और फलस्तीन क्षेत्र के मुफ्ती-ए-आज़ाम मोहम्मद हुसैन ने भी रमज़ान के दौरान इसी तरह की पाबंदियों की घोषणा की है.
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