Delhi: मोदी सरकार ने कभी लोकलुभावन वादे नहीं किए, राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की- अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर कभी भी लोकलुभावन फैसले नहीं किए, बल्कि उसने तो जनता की भलाई के लिए काम किया और देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की.

Delhi: मोदी सरकार ने कभी लोकलुभावन वादे नहीं किए, राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की- अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर कभी भी लोकलुभावन फैसले नहीं किए, बल्कि उसने तो जनता की भलाई के लिए काम किया और देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Delhi: मोदी सरकार ने कभी लोकलुभावन वादे नहीं किए, राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की- अमित शाह
Amit Shah (Photo Credits: /PTI)

नयी दिल्ली, 28 मार्च : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर कभी भी लोकलुभावन फैसले नहीं किए, बल्कि उसने तो जनता की भलाई के लिए काम किया और देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की. उद्योग मंडल एसोचैम के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए मंगलवार को शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘टीम इंडिया’’ की संकल्पना को साकार किया है. यही वजह है कि बीते नौ वर्ष में हर क्षेत्र में अच्छे नतीजे मिले हैं. शाह ने कहा, ‘‘जब हम फैसले लेते हैं तो हमारे सामने देश या किसी क्षेत्र की बेहतरी की बात होती है. देश में प्रणाली को व्यवस्थित करने के प्रयास जेहन में होते हैं. हम वोट बैंक को ध्यान में रखकर फैसले नहीं लेते, ऐसा होता तो इस देश में कभी जीएसटी नहीं आता. हम जानते हैं कि देश में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो जीएसटी का ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहकर मजाक बनाते हैं. लेकिन हमने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया.’’ ‘भारत@100 समावेशी एवं टिकाऊ वैश्विक वृद्धि की राह’ नाम के इस कार्यक्रम में गृह मंत्री ने कहा कि मोदी ने देश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित की. उन्होंने आगे कहा, ‘‘मोदी के नेतृत्व वाले दौर को भारत के लोकतंत्र के इतिहास में ‘राजनीतिक स्थिरता’ वाले दौर के रूप में जाना जाएगा.’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लॉजिस्टिक्स लागत को मौजूदा 13 प्रतिशत से कम करके 7.5 प्रतिशत पर लाने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे के विकास और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी के बिना विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी की 13 प्रतिशत है जबकि बाकी की दुनिया में यह आठ प्रतिशत है. इससे भारत के निर्यात के लिए विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना कठिन हो जाता है. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हमें 13 प्रतिशत और आठ प्रतिशत के इस अंतर को दूर करना होगा. हमने अगले पांच वर्ष के लिए एक रूपरेखा बनाई है. मैं यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अगले पांच वर्ष में हम लॉजिस्टिक्स लागत को घटाकर 7.5 प्रतिशत पर ले आएंगे.’’ यह भी पढ़ें : क्रूरतापूर्ण हमला के मामले में जमानत को लेकर दुनिया की राय जानने के लिए अदालत ने चैटजीपीटी की मदद ली

शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, जिसमें रेलवे लाइनों का दोहरीकरण, उनका चौड़ीकरण, मुंबई से दिल्ली और अमृतसर से कोलकाता के बीच मालढुलाई गलियारों के अलावा 11 अन्य औद्योगिक गलियारे जैसी कुछ बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं. अवसंरचना क्षेत्र में मिली अन्य उपलब्धियों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि सरकार ने 2028 तक लॉजिस्टिक्स लागत को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाने का लक्ष्य रखा है जिससे निर्यात को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके. उन्होंने विश्वास जताया कि मोदी सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र और 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मजबूत नींव रखी है. उन्होंने कहा कि अब लगभग हर व्यवसाय में यूपीआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. शाह ने कहा, ‘‘2022 में 8,840 करोड़ डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत यानी 1.26 लाख करोड़ रुपये है.’’ शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में पहली बार जीडीपी के निराशाजनक आंकड़ों को सामाजिक योजनाओं के जरिये मानवीय चेहरा दिया.

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