
नयी दिल्ली, दो फरवरी केंद्रीय बजट 2025-26 में बच्चों के कल्याण के लिए 1,16,132.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के 1,09,920.95 करोड़ रुपये से 5.65 प्रतिशत अधिक है, लेकिन बाल अधिकार निकायों ने ‘‘बजट हिस्सेदारी में कमी, महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए कम आवंटन और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बाल संरक्षण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निधि के कम उपयोग’’ को लेकर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने बताया कि समग्र केन्द्रीय बजट में बच्चों का हिस्सा 2.29 प्रतिशत पर बना हुआ है, जो 2012-13 के 4.76 प्रतिशत से कम है।
दो अलग-अलग बाल अधिकार निकायों ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (सीआईवाई) और ‘एचएक्यू सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स’ के विश्लेषण के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में बच्चों के लिए बजट भी 2024-25 में 0.34 प्रतिशत से घटकर इस वर्ष 0.33 प्रतिशत हो गया है।
शिक्षा क्षेत्र सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना हुआ है, जिसके लिए 89,420.84 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो 5.16 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
समग्र शिक्षा अभियान को 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 41,250 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, जबकि ‘पीएम श्री’ स्कूलों को 23.97 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 7,500 करोड़ रुपये का आवंटन मिला।
एचएक्यू रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि निधि का उपयोग असमान रहा है, 2023-24 में आवंटित धनराशि में से 15,843 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए।
जनजातीय विद्यार्थियों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के लिए मामूली 3.31 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 5,986.44 करोड़ रुपये कर दिया गया।
इस बीच, एचएक्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवोदय विद्यालय समिति के बजट में 8.53 प्रतिशत की कटौती कर इसे 5,305.23 करोड़ रुपये कर दिया गया, जबकि राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना में मामूली 0.8 प्रतिशत की कटौती की गई।
‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए प्री-मैट्रिक स्तर पर छात्रवृत्ति में 28.74 प्रतिशत की कटौती की गई, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) और विमुक्त जनजातियों (डीएनटी) के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में 35.72 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
पोषण कार्यक्रमों में मामूली वृद्धि की गई। सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 में 3.58 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि पीएम पोषण (पूर्व में मिड-डे मील योजना) के लिए बजट में केवल 0.26 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 12,500 करोड़ रुपये हो गया।
एचएक्यू रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने दावा किया कि बजट की धीमी वृद्धि सरकार के बाल पोषण में सुधार लाने के लक्ष्य के विपरीत है, विशेष रूप से बढ़ती कुपोषण दर को देखते हुए।
विशेषज्ञों ने कहा कि बाल संरक्षण को सबसे कम प्राथमिकता दी गई है, जिसके लिए मात्र 1,822.45 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में मात्र 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
एचएक्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) को बंद कर दिया गया, जिससे बाल श्रम उन्मूलन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गईं।
एचएक्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पीएम यशस्वी’ के तहत शीर्ष श्रेणी स्कूल योजना में भी 33.33 प्रतिशत की कटौती की गई।
वित्त वर्ष 2023-24 में संशोधित अनुमान चरण में बाल बजट में 8.62 प्रतिशत की कटौती की गई और आवंटित धनराशि का 85.74 प्रतिशत उपयोग किया गया।
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