मुंबई, 23 फरवरी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नवाब मलिक को धनशोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। यह जांच, भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम, उसके सहयोगियों आौर मुंबई अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों से संबंधित है। मलिक को तीन मार्च तक एजेंसी की हिरासत में भेजा गया है।
चार महीने में ईडी द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दूसरे हाई-प्रोफाइल नेता की गिरफ्तारी से राज्य की राजनीति में तूफान आ गया है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मलिक को बर्खास्त किए जाने की मांग कर रही है, लेकिन राकांपा और उसके सहयोगी दल कांग्रेस एवं शिवसेना मलिक के बचाव में आगे आए हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मलिक (62) को अपराह्न तीन बजे से कुछ समय पहले गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें धनशोधन मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें तीन मार्च तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।
सफेद कुर्ता पहने मलिक को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) से संबद्ध मामलों की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े के अदालत कक्ष में शाम चार बजकर 50 मिनट पर लाया गया। न्यायाधीश ने उन्हें मामले में आगे की जांच के लिए तीन मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
इससे पहले मलिक से दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट इलाके में ईडी के दफ्तर में करीब छह घंटे तक पूछताछ की गई। उन्हें जांच एजेंसी सुबह करीब आठ बजे वहां लेकर पहुंची थी।
मलिक ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मियों और स्थानीय पुलिस की सुरक्षा के साथ एक वाहन से एजेंसी के अधिकारियों द्वारा मेडिकल जांच के लिए ले जाए जाने से पहले मुट्ठी दिखाई, मुस्कुराए और इंतजार कर रहे मीडिया कर्मियों की ओर हाथ लहराकर अभिवादन किया।
उन्होंने वाहन के अंदर से मीडिया से कहा, ‘‘हम लड़ेंगे और हम जीतेंगे। हम, सबको बेनकाब कर देंगे। ’’
अधिकारियों ने बताया कि उनका बयान धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किया गया और इन्हीं प्रावधानों के तहत मलिक को गिरफ्तार किया गया है क्योंकि अपने जवाब में वह टाल-मटोल कर रहे थे।
मलिक की गिरफ्तारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत राकांपा-कांग्रेस-शिवसेना सरकार के लिए दूसरा झटका है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख को जबरन वसूली संबंधी आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। उन्हें ईडी ने दो नवंबर को गिरफ्तार कर लिया था।
बताया जाता है कि मुंबई विस्फोटों के दोषियों के कुछ संपत्ति संबंधी सौदों से मलिक का कथित तौर पर जुड़ा होना उन्हें केंद्रीय एजेंसी की जांच के दायरे में ले आया और उनसे पूछताछ की जरूरत पड़ी।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अदालत की कार्यवाही के बाद मलिक को रात करीब नौ बजे बलार्ड एस्टेट में ईडी के दफ्तर में लाया गया। मंत्री को ईडी दफ्तर में ही आज की रात गुजारनी पड़ेगी।’’
उन्होंने बताया कि राकांपा के वरिष्ठ नेता को सीआरपीएफ कर्मियों की कड़ी सुरक्षा के बीच ईडी दफ्तर लाया गया।
रात में वाहन से उतरने के बाद मलिक ने एक बार फिर हाथ उठाकर मीडियाकर्मियों का अभिवादन किया, जैसा कि उन्होंने दिन में पूछताछ के बाद ईडी दफ्तर से बाहर निकलने के दौरान किया था।
राकांपा ने मलिक पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताया है। राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने यहां बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक को इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों के “दुरुपयोग” के खिलाफ आवाज बुलंद की है।
कथित धनशोधन मामले में मलिक से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के आलोक में पवार ने कहा कि राकांपा को आशंका थी कि इस प्रकार की कार्रवाई की जा सकती है क्योंकि मलिक खुलकर बोलते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या मलिक के विरुद्ध कार्रवाई इसलिए की जा रही है कि उन्होंने केंद्र और भाजपा के विरोध में बोला, पवार ने कहा, “उन्होंने कौन सा मामला शुरू किया है? सीधी सी बात है। अगर कोई मुस्लिम कार्यकर्ता होता है (जिसके विरुद्ध कोई मामला शुरू किया जाता है) तो वह दाऊद का नाम लेते हैं...…(संबंधित कार्यकर्ता और अंडरवर्ल्ड के बीच) कोई संबंध नहीं होता, लेकिन ऐसा किया जाता है।”
पवार ने कहा कि उन्हें भी 1990 के दशक की शुरुआत में इसी प्रकार निशाना बनाया गया था जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और उनके विरोध में माहौल बनाया गया था।
राकांपा अध्यक्ष ने कहा, “तब से 25 साल बीत गए। इसी तरह से लोगों को बदनाम करने, सत्ता का दुरुपयोग करने और उन्हें परेशान करने के लिए (अंडरवर्ल्ड का) नाम लिया जाता है। जो लोग केंद्र के विरुद्ध और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के बारे में बोलते हैं, उन्हें परेशान किया जाता है और ऐसा ही यहां हो रहा है।”
शिवसेना और कांग्रेस ने भी मलिक के समर्थन में कहा कि उन्हें राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए इन हथकंडों के खिलाफ मिलकर लड़ने की आवश्यकता है।
हालांकि, भाजपा का कहना है कि ईडी की कार्रवाई को ‘बदले की राजनीति’ नहीं कहा जाना चाहिए और अगर सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं को यह सत्ता का दुरुपयोग लगता है तो वे अदालत जा सकते हैं। विपक्षी पार्टी (भाजपा) ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद मलिक को कैबिनेट मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
राकांपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मलिक के खिलाफ लगे आरोप अभी तक सिद्ध नहीं हुए हैं। यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘उनका इस्तीफा लेने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उन्होंने कोई गलती नहीं की है।’’
मलिक की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भुजबल ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता (मलिक) को ‘सत्ता के दुरुपयोग’ के लिए केन्द्र की मुखर आलोचना करने के कारण निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में मंत्री मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ बृहस्पतिवार सुबह प्रदर्शन किया जाएगा।
वहीं, मलिक के कार्यालय ने ट्वीट में कहा कि ईडी के अधिकारी आज सुबह उनके (मलिक) आवास पर आए और वह उनके वाहन में जांच एजेंसी के कार्यालय तक गए। ट्वीट में यह कहा गया है कि मलिक ‘‘न डरेंगे, न झुकेंगे।’’
राकांपा के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने आरोप लगाया कि मलिक के खिलाफ कार्रवाई ‘‘दबाव बनाने की नीति’’ है, ताकि उन्हें खामोश किया जा सके।
राकांपा कार्यकर्ताओं ने दक्षिण मुंबई में ईडी कार्यालय के पास स्थित पार्टी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने भाजपा नीत केन्द्र सरकार और ईडी के खिलाफ नारेबाजी की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र ने न कभी केन्द्र के आगे घुटने टेके हैं और न कभी टेकेगा।
राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष एवं राज्य के मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि यह ‘‘सत्ता के दुरुपयोग’’ का एक और उदाहरण है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि ईडी के अधिकारी पूछताछ के लिए मलिक को उनके घर से ले गए। राउत ने कहा, ‘‘पूरा देश देख रहा है कि महाराष्ट्र, झारखंड और पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है। यह राजनीतिक और कानूनी लड़ाई है।’’
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने मलिक से ईडी की गई पूछताछ को ‘‘बदले’’ की कार्रवाई बताते हुए कहा कि यह समय राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने की रणनीति के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का है।
हालांकि, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चन्द्रकांत पाटिल ने मलिक की गिरफ्तारी के बाद मंत्री पद से उनके इस्तीफे की मांग की।
पाटिल ने तंज कसते हुए कहा कि राज्य की एमवीए सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की लंबी सूची है, जिनमें आपस में प्रतियोगिता चल रही है कि जेल में अच्छी कोठरी पाने के लिए वहां पहले कौन जाएगा।
यहां, पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेता आशीष सेलार ने भाजपा द्वारा केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल बदले की राजनीति के लिए किए जाने के राकांपा और शिवसेना के आरोपों को खारिज किया।
उल्लेखनीय है कि स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व मुंबई क्षेत्र निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ व्यक्तिगत और सेवा से जुड़े आरोपों के बाद पिछले कुछ महीनों से मलिक खबरों में रहे हैं।
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