उच्चतम न्यायालय ने 'गंगूबाई काठियावाड़ी' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज की
फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Photo Credits: Instagram)

नयी दिल्ली, 24 फरवरी : उच्चतम न्यायालय ने बॉलीवुड फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को उसे खारिज कर दिया. फिल्मकार संजय लीला भंसाली के भंसाली प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने वाली है, जिसमें अभिनेत्री आलिया भट्ट अहम भूमिका में नजर आएंगी. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने बाबूजी रावजी शाह नामक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी. बाबूजी रावजी खुद को गंगूबाई का दत्तक पुत्र होने का दावा करता है. उसने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के लिए बंबई उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की थी, जिसके खारिज होने के बाद उसने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए सुंदरम ने पीठ से कहा कि फिल्म का नाम बदलना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होगा, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा सुझाया गया है, क्योंकि उन्हें इसके लिए फिर से सेंसर बोर्ड के पास जाना होगा. उन्होंने कहा कि फिल्म के नाम पर आपत्ति नहीं हो सकती क्योंकि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से सर्टिफिकेट दे दिया गया है. अधिवक्ता ए सुंदरम ने याचिकाकर्ता के वजूद पर सवाल उठाया और कहा कि शाह बिना किसी सबूत के ही गंगूबाई के दत्तक पुत्र होने का दावा करते हैं. सुंदरम ने कहा, ‘गोद लेने का कोई आधार नहीं है. व्यक्ति दत्तक पुत्र होने का दावा कर रहा है और कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है. वह एक तीसरा पक्ष है और उसने अपने दावे को साबित करने के लिए केवल एक राशन कार्ड दिखाया है.’ यह भी पढ़ें : Viral Video: दूल्हा-दुल्हन ने अपनी अजीबो-गरीब हरकत से खींचा सबका ध्यान, प्री-वेडिंग शूट का वीडियो हुआ वायरल

सुंदरम ने कहा कि पूरा मामला 2011 में प्रकाशित हुई एक किताब पर आधारित है जिसे उन्होंने उस समय चुनौतीपूर्ण नहीं माना था. सुंदरम ने कहा कि "द माफिया क्वींस ऑफ बॉम्बे" नामक किताब पर आधारित इस फिल्म में महिला की उपलब्धियों को महिमामंडित किया गया है. फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी तर्क दिया कि फिल्म बिल्कुल भी अपमानजनक नहीं है और गंगूबाई के चरित्र का महिमामंडन किया गया है कि कैसे वह एक विशेष पृष्ठभूमि से उठीं और एक कार्यकर्ता बन गईं.