![ग्लेशियर अनुसंधान, प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र पर आम सहमति बनाएं : समिति ग्लेशियर अनुसंधान, प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र पर आम सहमति बनाएं : समिति](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2022/11/VIDEO-Glacier-fell-in-Himachal-pradesh-watch-Avalanche-video-380x214.jpg)
नयी दिल्ली, 4 अप्रैल : संसद की एक समिति ने हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों और जल निकायों की निगरानी एवं हिमनद विज्ञान संबंधी अनुसंधान में कमी को रेखांकित करते हुए सरकार से आधुनिक सुविधाओं से लैस राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में ‘‘ग्लेशियर रिसर्च, स्टडीज एंड मैनेजमेंट’’ स्थापित करने को लेकर विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ आम सहमति बनाने को कहा है. संसद में पिछले सप्ताह पेश ‘देश में ग्लेशियर प्रबंधन-हिमनद के टूटने के कारण हिमालयी क्षेत्र में अचानक आने वाली बाढ़ सहित हिमनद झीलों की निगरानी’ पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद परबतभाई सवाभाई पटेल की अध्यक्षता वाली जल शक्ति मंत्रालय संबंधित स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि समिति ने हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों और जल निकायों की निगरानी एवं हिमनद विज्ञान संबंधी अनुसंधान में कमियों को महसूस किया है. इसमें कहा गया कि समिति नोट करती है कि जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) ने 1950 से 2020 के बीच ग्लेशियरों संबंधी विशिष्ट अध्ययन नहीं कराया. इसके अलावा भारतीय हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों के बारे में कोई व्यापक सूचना नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति के संज्ञान में यह बात आयी कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने के संबंध में न तो कोई अध्ययन कराया और न ही कोई परियोजना बनाई. समिति ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया है कि मानव बस्तियों के निकट ग्लेशियर झीलों का विस्तार, उद्गम और झीलों के फटने के संभावित कारणों का विश्लेषण करने के लिए जीएसआई, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा कोई अध्ययन नहीं कराया गया है. इसमें कहा गया है कि उपयुक्त कमियों को ध्यान में रखते हुए समिति की यह राय है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक विस्तृत संगठन की स्थापना किए जाने की आवश्यक्ता है जो ग्लेशियर संबंधी संकटों आदि से निपटने में लगे विभिन्न संगठनों/विभागों के साथ समन्वय कर सके. इससे हिमालयी ग्लेशियर संबंधी सूचना संकलन और डाटा के एकत्रण में समेकित दृष्टिकोण अपनाया जा सकेगा. यह भी पढ़ें : Tamil Nadu: प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के मद्देनजर मुदुमलाई बाघ अभयारण्य एवं उसके आसपास सुरक्षा बढ़ायी गयी
रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ संगठनों द्वारा दिये गए सुझावों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने हिमनद झील के कारण आने वाली बाढ़ के प्रबंधन संबंधी दिशा निर्देश में प्रस्ताव किया है कि जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूड़की के तहत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक प्रमुख केंद्र ‘ग्लेशियर रिसर्च, स्टडीज एंड मैनेजमेंट’ की स्थापना की जाए. समिति ने इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग से आग्रह किया है कि वे विभिन्न सुझावों का अध्ययन करें तथा विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/संगठनों के परामर्श से एक व्यापक अवधारणा पत्र/ कैबिनेट नोट तैयार करें. समिति ने कहा कि ऐसा करने से प्रस्तावित संगठन क‘ग्लेशियर रिसर्च, स्टडीज एंड मैनेजमेंट’ की संरचना और तौर तरीकों संबंधित प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखने पर आम सहमति तक पहुंचा जा सकेगा.