अगरतला, 14 अक्टूबर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने शनिवार को कहा कि अगरतला स्थित गोविन्द वल्लभ पंत (जीबीपी) अस्पताल 1971 के युद्ध के दौरान घायल हुए ‘मुक्तियोद्धाओं’ (आजादी के योद्धाओं) का सहारा बनकर उभरा था। इस युद्ध के बाद बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया।
जीबीपी अस्पताल की स्थापना 1961 में हुई थी और 2005 में इसे शैक्षिक संस्थान अगरतला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (एजीएमसी) बना दिया गया।
जीबीपी अस्पताल और एजीएमसी के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘जीबीपी अस्पताल उन हजारों घायल मुक्तियोद्धाओं के लिए सहारा बना था जो 1971 में मुक्ति संग्राम में लड़े और घायल हुए थे। उस वक्त 60 वर्ष की आयु पार चुके चिकित्सकों ने हजारों लोगों की जान बचाई थी।’’
साहा ने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना मुक्ति संग्राम में जीबीपी अस्पताल के योगदान को जानती हैं।
उन्होंने कहा,‘‘इसी कारण शेख हसीना का त्रिपुरा के प्रति हमेशा प्रेम और स्नेह रहा है जो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मुक्तियोद्धाओं के लिए लॉन्चिंग पैड था।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है और अल्प अवधि के भीतर एक दंत चिकित्सा महाविद्यालय तथा एक नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि एजीएमसी में एमबीबीएस की 125 और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की 80 सीट है। वहीं, जीबीपी अस्पताल में सात नए सुपर स्पेशियलिटी विभाग भी स्थापित किए गए हैं।
साहा ने कहा,‘‘ जिनके पास प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) बीमा नहीं है, उस प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये का चिकित्सा बीमा दिया जाएगा। इस साल के बजट में इसके लिए 69 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।’’
पूर्वोत्तर राज्य के 8.50 लाख परिवारों में से लगभग 4.75 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई चिकित्सा बीमा योजना 'आयुष्मान भारत' के दायरे में नहीं हैं।
मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना वंचित 4.75 लाख परिवारों को चिकित्सा बीमा प्रदान करेगी जिसमें सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं।
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