दमिश्क: सीरिया (Syria) में तुर्की द्वारा कुर्दो के कब्जे वाले क्षेत्रों में हमला किए जाने के बाद कम से कम 100,000 लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है. बीबीसी ने संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की रिपोर्ट के हवाले से शुक्रवार को बताया कि कई लोगों ने अल हसाकाह और ताल तामीर शहर में शरण ले रखी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क्षेत्र से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद तुर्की ने बुधवार को हमले किए. कम से कम 11 नागरिक मारे गए हैं. मानवीय समूहों का कहना है कि प्रभावित लोगों की संख्या में और इजाफा होगा. कुर्द नेतृत्व वाले सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) और तुर्की समर्थक धड़ों के दर्जनों लड़ाके मारे गए हैं. इस संघर्ष में एक तुर्क सैनिक के मारे जाने की पुष्टि तुर्की की सेना ने की है.
NE syria;
A Kurdish woman from the city of #kobani is asking a U.S soldier there, “If you can’t protect us, your allies, from Turkey’s bombing,then what are you doing in here?”
"Who is @RTErdogan to attack us?
This our land, not Erdogan's land"#SaveRojava#SaveKurds#امجد_طه pic.twitter.com/ojR3x6TpfI
— Amjad Taha أمجد طه (@amjadt25) October 11, 2019
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विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी सैनिकों की सीरिया से वापसी से तुर्की को हमला करने के लिए ग्रीन सिग्नल मिल गया. 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के परिणामस्वरूप अधिकांश क्षेत्र सीरियाई सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं. इसे 2015 से एसडीएफ द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है.
एसडीएफ इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी रहा है लेकिन तुर्की एसडीएफ के कुर्द लड़ाकों को 'आतंकवादी' मानता है जो तुर्की विरोधी विद्रोह का समर्थन करते हैं. तुर्की ने कुर्द लड़ाकों से मुक्त 'सुरक्षित क्षेत्र' बनाने की बात कहकर अपने कदम का बचाव किया, जो सीरियाई शरणार्थियों को शरण भी दे सकता है. राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को कहा, "हम इसे रोकेंगे नहीं चाहे कोई कुछ भी कहे."