कारें ले जा रही हैं जर्मनी को जलवायु लक्ष्यों से दूर
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मन सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां देश के लिए आज भी जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने की राह में एक बड़ी बाधा हैं. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट से इसका पता चला है.जर्मनी की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों से होने वाला उत्सर्जन कुल परिवहन से होने वाले उत्सर्जन का अब भी 95 फीसदी से ज्यादा है. पेरिस में अंतराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट में परिवहन को "जर्मनी में सबसे बड़ा उत्सर्जन क्षेत्र" बताया है.

पूरी आबादी के लिए मौजूद है कार

जर्मनी में कारों का इस्तेमाल खूब होता है. फिलहाल जर्मनी की सड़कों पर लगभग 4.9 करोड़ कारें दौड़ रही हैं. यहां की आबादी के लिहाज देखें तो प्रति 1,000 लोगों की आबादी पर 588 कारें मौजूद हैं.

जलवायु परिवर्तन के लिए पेड़ अधिक कारें कम का संकल्प

इसका मतलब है कि अगर कभी इमर्जेंसी हो तो देश की पूरी आबादी कारों में बैठ कर कहीं और के लिए रवाना हो जाएगी और फिर भी किसी को पिछली सीट पर बैठने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

जर्मनी के ऑटोबान यानी हाईवे पर बिना स्पीड लिमिट के कार चलाने की छूट भी उत्सर्जन बढ़ाने वाली है. जर्मनी दुनिया का इकलौता देश है जहां हाईवे पर गाड़ियों के लिए कोई स्पीड लिमिट नहीं होती.

इलेक्ट्रिक कारों के लिए प्रोत्साहन

इस समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि जर्मनी में परिवहन के क्षेत्र में अगर उत्सर्जन को घटाना है तो ग्राहकों को जीवाश्म ईंधन की बजाय कम उत्सर्जन वाली कारें अपनाने के लिए प्रोत्साहन देना होगा. इसके बगैर जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए उत्सर्जन में पर्याप्त कटौती कर पाना मुश्किल है.

इस रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाना होगा. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक कारों और जैव ईंधन का इस्तेमाल बढ़ाना होगा. सरकार को इसके लिए रेल और इलेक्ट्रिक चार्जिंग के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना पड़ेगा.

जर्मनी में सरकार ने कुछ सालों तक इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी दी थी. इसके नतीजे में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या तेजी से बढ़ी. हालांकि सब्सिडी खत्म होने के बाद इन कारों की बिक्री में काफी कमी आई है.

चार्जिंग स्टेशन की कमी और चार्जिंग में लगने वाला समय भी लोगों को इन कारों से दूर ले जा रहा है. बीते सालों में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन चार्जिंग में लगने वाला समय अब भी काफी ज्यादा है.

अक्षय ऊर्जा वाला ऊर्जा तंत्र

जर्मन इलेक्ट्रिक कारों की ऊंची कीमत भी इसके मार्ग में बड़ी बाधा है. चीन की बनी कारें जरूर सस्ती हैं और इस वजह से यूरोपीय देशों में उनकी बिक्री बढ़ रही है.

आईईए ने प्रेस रिलीज में कहा है कि जर्मनी अक्षय ऊर्जा पर प्रमुख रूप से आधारित ऊर्जा तंत्र की ओर बढ़ रहा है लेकिन "2045 तक जलवायु तटस्थता हासिल करने के लिए और ज्यादा काम करने की जरूरत होगी."

एनर्जी पॉलिसी रिव्यू नाम की इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आयोग और जर्मन सरकार ने तैयार किया है. इसका मकसद जर्मनी में ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी चुनौतियों का आकलन और उनसे निबटने के तरीकों के बारे में दिशा-निर्देश देना है. इसमें उन क्षेत्रों की ओर भी इशारा किया गया है जिनमें जर्मनी के नेता स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा बदलाव को बढ़ावा देने में उदाहरण पेश कर सकते हैं.

एनआर/एए (डीपीए)

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