लाहौर:- पाकिस्तान (Pakistan) की पनाह में पलकर आतंकवादी हाफिज सईद ने 2011 में मुंबई में कई जगहों पर हुए आतंकवादी हमलों को अंजाम तक पहुंचाया. जिसके बाद भारत ने कई पाकिस्तान के इस नापाक चेहरे को बेनकाब तो किया लिए वहां की सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. लेकिन अब कुछ सालों से पाकिस्तान ये दिखा रहा है कि वे आतंकवाद के विरोध में कार्रवाई कर रहे हैं. लेकिन सच यह है कि पाक सिर्फ एक चाल चल रहा है ताकि ब्लैक लिस्ट में उसका नाम शामिल न हो. बता दें कि पाकिस्तान से इस बीच एक खबर आ रही है कि आतंकवाद रोधी एक अदालत ने आतंकी वित्त पोषण (Terror Funding) के मामलें में हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को दस साल की सजा सुनाई है.
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के ही आतंकवाद रोधी एक अदालत ने जमात-उद-दावा (Jamaat-Ud-Dawaa) के शीर्ष तीन नेताओं को 16 साल तक की सजा सुनाई थी. सजा पाने वालों में मुंबई (Mumbai) आतंकवादी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद (Haafiz Saeed) का रिश्तेदार भी शामिल है. पाक की अदालत ने हाफिज अब्दुल रहमान मक्की (Haafiz Abdul Rehman Makki), जफर इकबाल (Zafar Iqbal) और मोहम्मद अशरफ (Mohammad Ashraf) को सजा सुनाई थी. Nagrota Encounter: जम्मू में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच बन टोल प्लाजा के पास मुठभेड़, 4 आतंकी ढेर.
ANI का ट्वीट:-
An anti-terrorism court in Pakistan sentences Jamat-ud-Dawa head Hafiz Saeed to 10-year imprisonment in an illegal funding case: Pakistan media
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— ANI (@ANI) November 19, 2020
ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए PAK चाल
पहले से ही गंभीर आर्थिक और वित्तीय संकट से जूझ रहा पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है. ग्रे सूची में होने के कारण पहले से ही कर्ज में डूबे इस्लामिक रिपब्लिक को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है. पाकिस्तान खुद को कैसे भी की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालना चाहता है. यही कारण है कि आतंकवाद पर कार्रवाई करने का ढोंग रच रहा है. गौरतलब हो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन और उनके प्रमुख हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैयद सलाहुद्दीन को पाकिस्तान में संरक्षण प्राप्त है.