एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि नियमित इरेक्शन से पुरुषों के यौन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है. इरेक्शन, लिंग में खून का बहाव बढ़ने से होने वाली एक प्रक्रिया है, जिससे लिंग सख्त हो जाता है.मेरी परवरिश उत्तरी इंग्लैंड में हुई. बचपन में मैं अक्सर उदास रहता था. इतना ज्यादा कि मेरे दोस्त अक्सर कहते थे, "कीप योर पेकर अप.” उनके कहने का मतलब था कि हताश न हो, मनोबल बनाए रखो. यह बहुत ही अच्छी सलाह थी. हालांकि, ‘पेकर' शब्द का एक अर्थ लिंग भी है और एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि इरेक्टाइल फंक्शन, यानी स्तंभन क्रिया को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से लिंग सख्त होना महत्वपूर्ण है.
साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि लिंग में फाइब्रोब्लास्ट की संख्या इरेक्शन से जुड़ी होती है. फाइब्रोब्लास्ट की अधिक संख्या का मतलब ज्यादा बार इरेक्शन. वहीं, इस संख्या के कम होने का मतलब है कम इरेक्शन.
फाइब्रोब्लास्ट शरीर में एक सामान्य कोशिका की तरह हैं और वे कनेक्टिव टिशू के निर्माण में योगदान देते हैं. खासतौर पर मानव लिंग में ये प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं. इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि पुरुष इरेक्शन की फ्रीक्वेंसी बढ़ाकर इसे बेहतर बना सकते हैं. इससे मानव लिंग में ज्यादा-से-ज्यादा फाइब्रोब्लास्ट बनते हैं.
इरेक्शन कैसे काम करता है
केले के आकार के स्पंज की कल्पना करें. अब इस पर थोड़ा पानी डालें. ऐसा करने पर आपको इसका आकार बढ़ता हुआ दिखेगा. इरेक्शन कुछ-कुछ इसी तरह काम करता है.
लिंग में स्पंजी टिशू के दो कॉलम होते हैं, जिन्हें कॉर्पोरा कैवर्नोसा कहा जाता है. इनके अंदर रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो इरेक्शन के दौरान खून से भर जाती हैं. लिंग की मांसपेशियां कॉर्पोरा कैवर्नोसा में रक्त के प्रवाह के साथ-साथ इरेक्शन के दौरान लिंग की सख्ती और अवधि को नियंत्रित करती हैं.
अध्ययन में पाया गया है कि फाइब्रोब्लास्ट उन रासायनिक संकेतों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनकी वजह से लिंग के सामान्य होने पर मांसपेशियां सिकुड़ती हैं. यह अध्ययन चूहों पर किया गया था, लेकिन लिंग से जुड़ी सारी क्रियाएं सभी स्तनधारियों में एक समान होती हैं. इसलिए यह अध्ययन पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
अध्ययन के प्रमुख लेखक और करोलिंस्का इंस्टिट्यूट, स्वीडन के क्रिस्टियान गोरित्ज ने बताया कि इन सारी समानताओं के बावजूद एक अंतर है. अधिकांश स्तनधारियों के लिंग में एक हड्डी होती है, लेकिन इंसानों में नहीं. इसका मतलब है कि लिंग सख्त होने के लिए रक्त का प्रवाह काफी जरूरी है क्योंकि इंसानों के पास हड्डी का भी सहारा नहीं है.
इरेक्शन को बेहतर बनाने का तरीका
गोरित्ज और उनकी टीम ने पाया कि युवा चूहों के लिंग की तुलना में बुजुर्ग चूहों के लिंग में फाइब्रोब्लास्ट की मात्रा कम थी. लिंग में होने वाले रक्त प्रवाह में भी यह स्थिति साफ तौर पर नजर आती है. इंसानों में भी उम्र के साथ इरेक्शन की क्षमता कम होती जाती है.
40 साल से कम उम्र के 29 फीसदी पुरुष और 40 साल से अधिक उम्र के 46 फीसदी पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) का अनुभव करते हैं. इसका मतलब है कि पुरुष को अक्सर अपना लिंग सख्त करने या लंबे समय तक सख्त बनाए रखने में समस्या आती है. गोरित्ज बताते हैं कि यह स्थिति लिंग में फाइब्रोब्लास्ट की कमी की वजह से हो सकती है. इस कमी के कारण लिंग आसानी से सख्त नहीं हो पाता.
क्या पुरुष अपने इरेक्शन को बेहतर बना सकते हैं? इस सवाल के जवाब में गोरित्ज कहते हैं, ‘हां, ऐसा किया जा सकता है.' वह बताते हैं, "हालांकि, यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने जैसी प्रक्रिया नहीं है क्योंकि फाइब्रोब्लास्ट मांसपेशियां नहीं हैं. यह सहनशक्ति वाले प्रशिक्षण की तरह है, जैसे कि दौड़ने से आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और आपके शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है.”
हालांकि, इरेक्शन को बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि यौन क्रिया की जाए. पुरुषों में इरेक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम अपने-आप होता है, जो हर रात चलता है. अक्सर यह सुबह सोकर उठते हुए स्पष्ट महसूस होता है. इस समय लिंग सख्त होता है.
गोरित्ज ने कहा, "स्वस्थ व्यक्ति को सोते समय लगभग पांच बार इरेक्शन होता है, जो कुल मिलाकर लगभग तीन घंटे तक रहता है. आपका शरीर नींद के दौरान अपने-आप इरेक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा होता है.” अध्ययन के अनुसार, रात में होने वाला यह इरेक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम ज्यादा फाइब्रोब्लास्ट बनने की वजह से होता है. इससे बार-बार इरेक्शन होता है.
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
अगर रात में अपने-आप इरेक्शन ना हो, तो इरेक्टाइल फंक्शन के लिए मदद ली जा सकती है. साइकोसेक्शुअल थेरपिस्ट और ब्रिटेन में द थेरेपी यार्ड की सह-संस्थापक मिरांडा क्रिस्टोफर्स ने बताया कि यह शोध पुरुषों को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से निपटने में मदद के लिए सेक्स थेरेपिस्ट को अहम जानकारी प्रदान कर सकता है.
क्रिस्टोफर्स ने ईमेल के जरिए डीडब्ल्यू को बताया, "सेक्स थेरपी में हम समस्या की वजह समझने की कोशिश करते हैं. हम किसी भी अनसुलझे मनोवैज्ञानिक मुद्दे पर काम करते हैं, दबाव और अपेक्षाओं को दूर करते हैं, और स्टार्ट/स्टॉप व्यायाम जैसे उपाय का सुझाव देते हैं.”
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन सामान्य समस्या है, जो लगभग आधे पुरुषों को उनके जीवन में किसी न किसी समय प्रभावित करती है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि तनाव या अवसाद, यौन दबाव, आत्मसम्मान कम होना, शारीरिक रुझान, हृदय रोग, मधुमेह या हार्मोन से जुड़ी गड़बड़ियां.
ऐसी स्थितियों में आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि आपको कब इरेक्शन नहीं होता है. सेक्स चिकित्सक लोगों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक समस्याओं को समझने में मदद कर सकते हैं. इरेक्टाइल फंक्शन को बनाए रखने में मदद करने के लिए व्यायाम का सुझाव दे सकते हैं.
आपके लिंग को सख्त रखने के कई तरीके हैं. जैसे, रात्रिकालीन लिंग प्रशिक्षण, सेक्स थेरपी, यहां तक कि दवा भी. इन सब के बीच यह भी जरूरी है कि अपने शरीर और यौन स्वास्थ्य का ख्याल रखें, जिसमें नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और तनाव कम करना शामिल है. साथ ही, हमेशा सकारात्मक रहें.