Today's Googly: थर्ड अंपायर से पहला आउट किसको मिला, जानें गूगली का जवाब
MCC Honors Sachin Tendulkar (Photo: @MCC_Members)

Today’s Googly: Third Umpire Se Pehla out Kisko Mila? IPL के ताजा रोमांच के बीच गूगल का खेल 'Googlies on Google' फैंस को क्रिकेट की दिलचस्प जानकारी दे रहा है. इस बार का सवाल है, क्रिकेट इतिहास में सबसे पहले तीसरे अंपायर के फैसले से आउट होने वाले बल्लेबाज कौन थे? (Pehli Baar Third Umpire Ne Kisko out Diya Tha?) जवाब है, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर. जी हां, क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले तेंदुलकर उस वक्त पहली बार आउट हुए जब फैसला मैदान में नहीं, बल्कि टीवी स्क्रीन पर हुआ था. यह ऐतिहासिक पल आया था 14 नवंबर 1992 को, जब टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के दौरे पर थी. ये मुकाबला था सीरीज का पहला टेस्ट मैच और जगह थी डरबन.

उस समय क्रिकेट में टेक्नोलॉजी का ये पहला इस्तेमाल था, जिसे हम आज तीसरे अंपायर या थर्ड अंपायर के नाम से जानते हैं.

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अब आइए जानते हैं कि हुआ क्या था?

मैच के दौरान जब सचिन तेंदुलकर क्रीज़ पर थे, तभी एक रन लेने के दौरान साउथ अफ्रीका के जोंटी रोड्स, जो अपने शानदार फील्डिंग के लिए मशहूर हैं, ने बिजली की रफ्तार से गेंद उठाई और सीधे स्टंप्स की ओर फेंकी. गेंद इतनी सटीक थी कि रन आउट की नौबत आ गई.

मैदानी अंपायर को मामला थोड़ा कांटे का लगा. यानि साफ-साफ समझ नहीं आ रहा था कि तेंदुलकर क्रीज के अंदर थे या बाहर. इसलिए पहली बार फैसला दिया गया तीसरे अंपायर के हवाले, यानि टीवी अंपायर कार्ल लीबेनबर्ग के पास.

DRS सिस्टम कब से लागू हुआ?

टीवी रिप्ले में देखा गया कि जब बेल्स गिर रही थीं, उस वक्त सचिन का पैर क्रीज़ के बाहर था. और इसी आधार पर उन्हें आउट करार दे दिया गया. ये था क्रिकेट इतिहास का वो पहला मौका जब किसी बल्लेबाज का भाग्य तय हुआ टीवी रिप्ले से.

उस दिन ना सिर्फ तेंदुलकर आउट हुए, बल्कि क्रिकेट में एक नया दौर भी शुरू हुआ. टेक्नोलॉजी का दौर. यही टेक्नोलॉजी आगे चलकर DRS (Decision Review System) में बदल गई, जो आज क्रिकेट का अहम हिस्सा है.

'Googlies on Google' के साथ सीखें

ये वाकया इसलिए भी खास है क्योंकि उस दौर में टीवी रिप्ले जैसी चीजें नई थीं और फैंस के लिए भी ये किसी रोमांच से कम नहीं था. और तेंदुलकर का नाम इससे जुड़ जाना इसे और भी यादगार बना देता है.

तो अगली बार जब कोई कहे कि क्रिकेट में तीसरे अंपायर का इस्तेमाल कब शुरू हुआ, तो याद रखिए. ये शुरुआत हुई थी 1992 में और पहले शिकार बने थे सचिन तेंदुलकर.